आजमगढ़ जिले के पलिया गाँव में दलितों के साथ हुए पुलिसिया अत्याचार पर बसपा प्रमुख मायावती ने योगी सरकार के पुलिस प्रशासन पर हमला बोला है। मायावती ने पुलिस वालों पर कार्यवाई की मांग की है जो पीड़ित दलितों को न्याय देने के बजाय उनपर ही अत्याचार करने का आरोप लगा रहे हैं। मायावती ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, “आजमगढ़ पुलिस द्वारा पलिया गाँव के पीड़ित दलितों को न्याय देने के बजाय उनपर ही अत्याचारियों के दबाव में आकर खुद भी जुल्म-ज्यादती करना व उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाना अति-शर्मनाक। सरकार इस घटना का शीघ्र संज्ञान लेकर दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई व पीड़ितों की आर्थिक भरपाई करे। साथ ही, अत्याचारियों व पुलिस द्वारा भी दलितों के उत्पीड़न की इस ताजा घटना की गंभीरता को देखते हुए बीएसपी का एक प्रतिनिधिमण्डल श्री गया चरण दिनकर, पूर्व एमएलए के नेतृत्व में पीड़ितों से मिलने शीघ्र ही गाँव का दौरा करेगा।”
समाजवादी पार्टी के एमएलसी उदयवीर सिंह ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ये आरोप बहुत गम्भीर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश डीजीपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन आरोपों की तत्काल जाँच हो। यदि यह सत्य है तो जातीयता, महिला का सम्मान और इज़्ज़त, और वर्दी के लिहाज़ से अक्षम्य अपराध है। राजनैतिक लोगों को तो डूब मरना चाहिए।”
दरअसल, गांववालों ने आरोप लगया है कि 19 जून को पलिया गांव में पुलिस ने दलित प्रधान मुन्ना पासवान समेत 3 दलित परिवारों को प्रताड़ित किया, उनका घर तोड़ दिया, गहने लूट लिए और साथ ही उनके घर की महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार भी किया। एक ख़बर के अनुसार, गांव की महिलाएं पुलिस प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठी हैं। 29 जूनको ही गांव के कुछ लोगों ने एक अन्य ग्रामवासी आनंद विश्वास के साथ लड़ाई की थी, इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और मुन्ना को पुलिस स्टेशन ले जाने लगी। मुन्ना की कजन अनिता देवी का कहना है कि मुन्ना के स्टेशन जाने से मना करने पर पुलिस ने उसको थप्पड़ मारा, जिसके बाद गांव के लोगों ने पुलिस को खदेड़ा। आरोप है कि इसी का बदला लेने के लिए पुलिस वापस आई और JCB लगाकर दलित परिवारों के घर तोड़ डाले, उनके साथ दुर्व्यवहार किया और महिलाओं का उत्पीड़न किया। आज़मगढ़ के एसपी का दावा है कि मुन्ना प्रधान के आदमियों ने पुलिस वालों को जमकर पीटा। उनका कहना है कि पुलिस पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं ताकि वो मुन्ना और उनके आदमियों के खिलाफ एक्शन न लें। सवाल ये है – अगर मुन्ना और उनके आदमियों ने किसी तरह से पुलिस के साथ हिंसा की भी थी तब भी पुलिस को किसी का घर तोड़ने, लूटने और महिलाओं के साथ बतमीजी करने का लाईसेंस कहाँ से मिल जाता है!

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