कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 20 जवानों की शहादत पर सरकार से सवाल पूछा था कि भारतीय सेना को बिना हथियार के चीनी सैनिकों के पास किसने भेजा था। इसपर राहुल गांधी को ग़लत ठहराते हुए विदेश मंत्रालय ने दावा किया था कि सैनिकों के पास हथियार थे।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि गलवान घाटी में भारत-चीन सीमा पर तैनात भारतीय जवानों के पास हथियार थे लेकिन पिछले समझौतों के तहत उन्होंने हथियार का इस्तेमाल नहीं किया। लेकिन अब हिंसक संघर्ष में घायल हुए एक जवान का बयान सामने आने के बाद विदेश मंत्री के दावे पर सवाल खड़े हो गए हैं।

दरअसल, चीनी सेना के साथ हुए हिंसक संघर्ष में घायल जवान सुरेंद्र सिंह का एक बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने अपने परिजनों से फोन पर बात करते हुए बताया है कि चीन के साथ संघर्ष में भारतीय सैनिक निहत्थे थे, उनके पास कोई हथियार नहीं थे।

न्यूज़ चैनल आजतक से बातचीत करते हुए जवान सुरेंद्र सिंह के पिता बलवंत ने कहा, ‘उस दिन मेरे पास 11-12 बजे रात अचानक सुरेन्द्र का फोन आया। मैंने पूछा कि कहां तो उसने बताया कि अस्पताल में हूं। लेह के आसपास कहीं हूं। मैं ठीकठाक हूं।’

जवान ने घटना के बारे में बताते हुए पिता से फोन पर कहा, ‘हम 300-400 जवान थे। चीनी सैनिक अचानक आ गए। वे 2000-2500 तक थे। उनके पास रॉड और डंडे थे। अचानक वे पत्थर चलाने लगे। हमारे पास हथियार नहीं था। हम खाली हाथ थे। मेरी जान बड़ी मुश्किल से बच्ची है मेरे सिर पर 10-12 टांके लगे हैं, हाथ-पांव में चोट लगी है।’

वहीं चैनल से बात करते हुए जवान की पत्नी गुरप्रीत कौर ने कहा कि उसने (सुरेन्द्र) चीन के दो-तीन सैनिकों को मारा। उन्होंने बताया कि जवानों के पास कोई हथियार नहीं था, ये निहत्थे थे। बातचीत का माहौल था, बातचीत से मसले के हल की बात हो रही थी। तभी चीनी सैनिक हथियार के साथ आ गए।

परिजनों ने घायल जवान सुरेन्द्र सिंह के हवाले से जो बात कही है, उससे ये स्पष्ट हो गया है कि चीनी सेना के साथ संघर्ष के दौरान भारतीय सैनिकों के पास हथियार नहीं थे। ऐसे में सवाल ये उठता है कि विदेश मंत्री ने आखिर किस आधार पर जवानों के पास हथियार होने का दावा किया।

क्या इससे ये समझ जाए कि सीमा पर जो कुछ हुआ उसकी जानकारी विदेश मंत्रालय तक को नहीं? या फिर राहुल गांधी के बयान के मुताबिक, ये मान लिया जाए कि सरकार देश की जनता से असल जानकारी छुपा रही है?

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