एक कहावत है ‘बहती गंगा में हाथ धोना’ इसका मतलब होता है मौके का फायदा उठाना। अयोध्या में गंगा तो नहीं है लेकिन हाथ जमकर धोया जा रहा है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राम मंदिर निर्माण को मंजूरी मिलने के बाद से आस-पास की जमीनों को खरीदने की होड़ लग गयी है। इस होड़ में शामिल हैं अयोध्या के विधायक, मेयर, एमसडीएम, डीआईजी और नौकरशाहों के कई करीबी रिश्तेदार।

रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2020 में मंदिर निर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जमीन खरीदनी शुरू की। 70 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के बाद इस परियोजना ने रफ्तार पकड़ ली। इसके बाद प्राइवेट बिल्डरों और प्रॉपर्टी डीलर्स ने वहां जमीन खरीदनी शुरू की। फिर एंट्री हुई सरकारी अधिकारियों, नेताओं, नौकरशाहों और उनके रिश्तेदारों की।

इंडियन एक्सप्रेस ने ऐसे 14 मामलों की जांच की है जिससे पता चलता है कि इन अधिकारियों/नेताओं के परिवारों ने SC के फैसले के बाद राम मंदिर के 5 किमी के दायरे में जमीन खरीदी है।

कौन हैं खरीदार

बीते 2 दो साल में जमीन खरीदने वालों में शामिल हैं- अयोध्या डिवीजनल कमिश्नर एमपी अग्रवाल के ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल। अयोध्या विधानसभा से विधायक वेद प्रकाश गुप्ता के भतीजे तरुण मित्तल। अयोध्या जिले में गोसाईगंज से विधायक इंद्र प्रताप तिवारी। मुख्य राजस्व अधिकारी रहे पुरुषोत्तम दास गुप्ता के साले अतुल गुप्ता की पत्नी तृप्ति गुप्ता। पुलिस उप महानिरीक्षक, डीआईजी के पद पर रहे दीपक कुमार (अब अलीगढ़ के DIG) की पत्नी की बहन महिमा ठाकुर। अयोध्या में एसडीएम के पद पर रहे आयुष चौधरी की चचेरी बहन शोभिता रानी। राज्य ओबीसी आयोग के सदस्य बलराम मौर्या। राज्य सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही की पत्नी संगीता और बेटे सहर्ष।

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