2 करोड़ रोज़गार हर साल देने के वादे के साथ केंद्र की सत्ता में आई मोदी सरकार ने रोज़गार सृजन से जुड़े एक और आंकड़े को लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र दबा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनांस एजेंसी (मुद्रा) योजना के तहत कितनी नौकरियां या रोजगार पैदा हुए यह आंकड़े अब 2 महीने के बाद पेश किए जाएंगे।

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि विशेषज्ञ समिति को ये आंकड़े जमा करने की पद्धति में कुछ अनियमितताएं नज़र आईं, जिसके चलते इस रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने का फैसला ले लिया गया। बता दें कि इस रिपोर्ट के साथ ही नौकरियों और रोजगार से जुड़ी यह तीसरी रिपोर्ट है जिसे सार्वजनिक होने से पहले ही मोदी सरकार ने दबा दिया गया है।

इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी 22 फरवरी की रिपोर्ट में बताया था कि नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस यानी एनएसएसओ की रिपोर्ट को खारिज करने के बाद मोदी सरकार लेबर ब्यूरो के सर्वे के आंकड़ों को जारी करने की तैयारी कर रही है। लेकिन, पिछले शुक्रवार को हुई बैठक में विशेषज्ञ समिति ने लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट में ‘कुछ गड़बड़ियों को दुरुस्त’ करने के लिए कहा। इसके लिए ब्यूरो ने 2 महीने का वक्त मांगा है।

GDP को 10% तक पहुंचाने का वादे करने वाली मोदी सरकार ने बेरोजगारी दर 10% पहुंचा दिया : CMIE रिपोर्ट

हालांकि समिति के इस फैसले को अभी केंद्रीय श्रम मंत्री की मंजूरी मिलनी बाकी है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि रविवार से चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद अनौपचारिक तौर पर अब यही फैसला हुआ है कि इस रिपोर्ट को चुनाव के दौरान सार्वजनिक न किया जाए।

मालूम हो कि मोदी सरकार ने बेरोजगारी पर एनएसएसओ की रिपोर्ट और श्रम ब्यूरो की नौकरियों एवं बेरोज़गारी से जुड़ी छठवीं सालाना रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। इन दोनों ही रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में नौकरियों में गिरावट आने की बात सामने आई थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here