आपकी थाली में झांकने के बाद अब सरकार आपके कंप्यूटर में ताक-झांक करना चाहती है! यानी अब आपको सिर्फ़ हैकरों से नहीं बल्कि जाँच एजेंसियों से भी डरने की ज़रूरत है। वो कभी भी आपके कंप्यूटर की जासूसी कर सकती हैं।
केंद्र की बीजेपी सरकार ने 10 एजेंसियों को इसकी इजाज़त दी है कि वो किसी भी शख़्स, संगठन के कम्प्यूटरों में सुरक्षित रखे गए डेटा, कम्प्यूटर में लिए गए डेटा और ट्रांसफ़र किए गए डेटा समेत किसी भी चीज़ की पड़ताल कर सकेंगी।
यानी देश के प्रमुख एजेंसिया अब किसी के भी कम्प्यूटर में जेनरेट, ट्रांसमिट, रिसीव, और स्टोर किए गए दस्तावेज़ों को खंगाल सकेंगी, ऐसा केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से जारी नोटिफ़िकेशन में बताया गया है।
इन जाँच एजेंसियों को आईटी एक्ट की धारा 69 के तहत यह अधिकार दिया गया है और फ़ैसले की वजह देश की सुरक्षा बताई गई है।
वो एजेंसियाँ जिन्हें कम्प्यूटर जाँच का मिला अधिकार-
- इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी)
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)
- सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज
- डायरेक्टोरेट ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलीजेंस
- सीबीआई
- एनआईए
- कैबीनेट सचिवालय (रॉ)
- डायरेक्टोरेट ऑफ़ सिग्नल इंटेलीजेंस
- दिल्ली पुलिस कमिश्नर
विपक्ष ने बताया निजता पर हमला-
मोदी सरकार के इस फ़ैसले पर कांग्रेस ने सख़्त ऐतराज़ जताते हुए इसे निजता पर हमला बताया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “अबकी बार, निजता पर वार” जासूसी मोदी सरकार की आदत।
वहीं माकपा के नेता सीताराम येचुरी का कहना है कि, “सरकार हर भारतीय को अपराधी क्यों मानती है? हर नागरिक की जासूसी का हक़ देना असंवैधानिक है”
जानें क्या है आईटी एक्ट की धारा 69
इस धारा के तहत अगर केंद्र में बैठी सरकार को लगता है कि देश की सुरक्षा, एकता और दूसरे देशो के साथ अच्छे सम्बंध बनाए रखने के लिए किसी शख़्स के डेटा की पड़ताल करने की ज़रूरत है तो वो ऐसा कर सकती है। जाँच एजेंसियों को इसके लिए अधिकार दे सकती है।