राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष के हाथों घिरी मोदी सरकार अब खुद सुप्रीम कोर्ट के पास चली गई है।

अब मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर राफेल डील पर दिये गए फैसले में एक ”तथ्यात्मत सुधार” की मांग की है। यह तथ्यात्मक सुधार कैग रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के संदर्भ में है।

क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के खिलाफ जो याचिकाओं को खारिज करते हुए इन्हीं संदर्भों को ही अपने फैसले का आधार माना था इसलिए सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट से फैसले में संशोधन करवाना खासा महंगा साबित हो सकता है।

साथ ही फैसले के बाद सरकार पर विपक्ष का सीधा हमला भी फैसले में आए रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के संदर्भों पर ही आधरित था।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में फैसले के इन्हीं संदर्भों पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैग रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) की बात पर साफ झूठ़ बोला है।

वहीं उच्चतम न्यायालय ने भी शुक्रवार को अपने फैसले में कहा था कि कैग के साथ कीमत के ब्यौरे को साझा किया गया और कैग की रिपोर्ट पर पीएसी ने भी गौर किया है।

आपको बता दें कि कैग रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) का जिक्र फैसले के पैराग्राफ 25 में किया गया है। इन्हीं तथ्यों को आधार मानते हुए कल सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार द्वारा दिए गए सक्ष्यों के आधार पर कोर्ट इस सौदे की जांच के आदेश नहीं दे सकता है।

साथ ही कैग रिपोर्ट की बात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी है उस पर खुद लोक लेखा समिति मल्लिकार्जुन खड़गे झुठला चुके हैं। उन्होंने कल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर राफेल से जुड़ी कोई रिपोर्ट आती तो उसे पहले लोक लेखा समिति में लाया जाता।

क्योंकि कोई ऐसी रिपोर्ट है ही इसलिए वह समिति में आई ही नहीं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैग और लोक लेखा समिति संदर्भ में जूठ़ बोला है।

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