सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर एनडीए सरकार बार-बार कहती आ रही है कि यूपीए सरकार ने सेना को खुली छूट नहीं दी। इस बार इस मामले में लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने उन सारे दावों को ख़ारिज कर दिया है जो सरकार अबतक करती आई है। उन्होंने साफ़ कहा कि हम जब ऐसा कहते की पहले सेना को छूट नहीं अब है, ये कहना सैनिकों का अपमान है।
एक न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम में सर्जिकल स्ट्राइक पर बोलते हुए लेफ्टि. जन. डीएस हुड्डा ने कहा कि मैं ये भी सुनता हूँ की ये बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक वो छोटी होती थी।
आप एक सिपाई से पूछे जिसने सरहद पार करके सर्जिकल स्ट्राइक की चाहे 2016 की रही हो या उससे पहले की हो।
दोनों में उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाली है दोनों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए काम किया है, दोनों ने राष्ट्र की सेवा की है और दोनों ने ये नहीं सोचा था की किसकी सरकार है और तभी मैं करूँगा।
सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा- सेना के हाथ कभी बंधे हुए नहीं रहे
इसपर पत्रकार ने पलटकर फिर सवाल किया है कि अब ये जो दावा किया जाता है पहले सेना को इतनी खुली छूट नहीं थी जितनी अबकी सेना में है?
इस बात को नकारते हुए डीएस हुड्डा ने कहा कि ये कहना गलत है क्योंकि इंडियन आर्मी आज़ादी के बाद से सरहद की सुरक्षा में लगी हुई है, और जब हम बॉर्डर पर रक्षा के लिए है तो हाथ बांधकर रक्षा नहीं कर सकते है। वो भी तब जब बॉर्डर पर लगातार फायरिंग हो रही हो कौन आपके हाथ बांध सकता है ऐसा कहना बिलकुल गलत है।