प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया पहले कबूतर छोड़े जाते थे अब चीते छोड़े जा रहे हैं, देश बहुत आगे बढ़ चुका है।

मगर प्रधानमंत्री ने ये नहीं बताया पहले बलात्कारी जेल में डाले जाते थे अब जेल से छोड़े जा रहे हैं, देश कितना आगे बढ़ चुका है।

ये भी नहीं बताया कि पहले गृहमंत्री रेप पर कड़े कानून बनाने के लिए बाध्य होते थे और अब गैंगरेप के दोषियों को जेल से रिहा करा रहे हैं, ये देश कितना आगे बढ़ चुका है।

ये तो प्रधानमंत्री ने बिल्कुल भी नहीं बताया कि पहले हत्यारों बलात्कारियों का सामाजिक बहिष्कार किया जाता था और आज वो सम्मानित किए जा रहे हैं, देश कितना आगे बढ़ चुका है।

आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को साफ-साफ क्यों नहीं बताते कि आगे बढ़ते बढ़ते देश कहां पहुंच चुका है।

भुखमरी के मामले में दुनिया के 121 देशों में शर्मनाक 107 में नंबर तक पहुंच चुका है। प्रेस की आज़ादी के मामले में दुनिया के 180 देशों में भारत 150वें नंबर तक पहुंच चुका है।

बेरोजगारी में पिछले 45 सालों के सारे रिकॉर्ड तोड़ चुका है।दिनरात मेहनत करने वाला मजदूर वर्ग बिल्कुल बर्बाद हो चुका है।

सांप्रदायिक नारे लगाते हुए मस्जिदों पर, मज़ारों पर चढ़ाई कर देना अब आम हो गया है।

1992 में अयोध्या में बोई गई थी जो फसल। 2002 में गुजरात में काटी गई थी जो सैम्पल फ़सल। अब उसी सांप्रदायिक फसल से देश धनवान हो चुका है!

सच में देश आगे बढ़ चुका है। ऊपर के साइड हिमालय की चोटियां हैं नहीं तो किसी समुंदर डूबकर समाधि ले लेता। और बता देता बेशर्मी के मामले में देश कितना आगे बढ़ चुका है।

बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई के मामले में लगातार दो बड़े खुलासे हुए हैं जिससे राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार एक्सपोज हो चुकी है।

पहला खुलासा ये कि बिलकिस के बलात्कारियों की रिहाई कोर्ट की प्रक्रिया के आधार पर नहीं बल्कि गृह मंत्रालय की सिफारिश के आधार पर हुई थी।

दूसरा खुलासा ये कि जिन्हें संस्कारी बताकर रिहा किया गया वो संस्कारी नहीं आदतन बलात्कारी ही थे। इन पर फिर से यौन उत्पीड़न करने और गवाहों को धमकाने के आरोप लगे जब ये पैरोल पर बरी हुए थे।

हालांकि दोनों खुलासे से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा अगर भारतीय जनता पार्टी अपने उस विधायक के साथ खड़ी हो जाए जिसने चरित्र वर्णन करते हुए कहा था- ये संस्कारी हैं क्योंकि ब्राह्मण हैं।

जाति में श्रेष्ठता की दलील इस देश में सबसे बड़ी दलील है जिसके बाद तर्क बुद्धि ज्ञान विज्ञान, नियम कानून, विधान-संविधान का कोई स्कोप नहीं बचता है।

वैसे स्कोप तो नहीं बचा है न्याय पाने या न्याय दिलाने का भी, मगर धर्मांधता में डूबे देश के पास बुरे और बहुत बुरे में एक चुन लेने के सिवा और क्या विकल्प बचता है।

ऐसी विकल्पहीनता के दौर में जब प्रधानमंत्री कह रहे हैं हमारा देश बहुत आगे बढ़ चुका है तो हैरानी हो रही है कि क्या वो ये सब नहीं देख रहे हैं जो देशभर में हो रहा है।

15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे थे तो उसी दिन उन्हीं की सरकार द्वारा- किसकी कितनी आजादी है- इसका सही मतलब भी बताया जा रहा था।

बिलकिस बानो के बलात्कारियों को सरकार की सिफारिश पर जेल से रिहा किया जा रहा था और सांप्रदायिक नफरत में डूबे लोगों द्वारा उनका स्वागत किया जा रहा था।

मिठाई बांटी जा रही थी फूलमाला पहनाया जा रहा था। कोई अच्छा काम करके लौटे हैं जैसे, कुछ इस तरह से जश्न मनाया जा रहा था।

मानो, इन दलीलों, तस्वीरों और संकेतों के जरिए गुजरात और केंद्र की बीजेपी सरकार लोगों में संदेश देना चाहती है कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत में किसी भी हद तक चले जाओगे हम तुम्हारा साथ निभाते रहेंगे।

हत्या और बलात्कार जैसे मामले अगर साबित भी हो गए, आजीवन कारावास जैसी सजा भी मिल गई तब भी हम आपको बचाते रहेंगे।

बलात्कारियों को बचाया जाए या फिर अब किसी दबाव में आकर उन्हें वापस जेल में डाल दिया जाए मगर सरकार की नीयत का पता चल चुका है।

सच में, आगे बढ़ते बढ़ते ये देश ना जाने कितना आगे बढ़ चुका है। जहाँ नियम कानून संविधान की सरहद भी हो जाती है खत्म, उसे तोड़कर आगे निकल चुका है।

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