प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल पूरे धूमधाम से शुरु किया गया इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) बर्बादी की कगार पर आ गया है। हाल ये है कि बैंक के पास अब अपने कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं।
ख़बरों के मुताबिक, बैंक की ये हालत कारोबार न होने की वजह से हुई है। भरपूर प्रचार के साथ शुरु किया गया ये बैंक ग्राहकों को अपनी ओर खींचने में नाकाम रहा है। जिसके चलते बैंक में कारोबार लगभग न के बराबर हो गया है।
बैंक की इस हालत के बाद पोस्टल डिपार्टमेंट ने मान लिया है कि IPPB की सेवाएं अव्यवहारिक हैं। जिसके चलते उसने नई भर्तियां न करने का फैसला किया है। इसके साथ ही डिपार्टमेंट ने आरबीआई से IPPB को स्मॉल फाइनैंस बैंक में बदलने की मांग की है।
फिलहाल डिपार्टमेंट आरबीआई की मंजूरी का इंतजार कर रहा है, ताकि वह एक लाख रुपये से अधिक की डिपॉजिट स्वीकार करने के साथ ही लोन दे सके। बैंक के एक अधिकारी ने उम्मीद जताते हुए कहा कि अगले साल की शुरुआत तक हमें आरबीआई से अनुमति मिल जाएगी। IPPB केंद्र सरकार से पुनर्पूंजीकरण का इंतजार कर रहा है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 सितंबर 2018 को IPPB की शुरुआत की थी। इसकी शुरुआत बैंकिंग प्रणाली में बदलाव के उद्देश्य से की गई थी। इसके ज़रिए वह देश के कोने-कोने में बैंकिंग सुविधा मुहैया करवाना चाहते थे। जिसके लिए IPPB को डाकघरों में स्थित 3,250 एक्सेस पॉइंट्स के अलावा, 650 शाखाओं के साथ लॉन्च किया गया था।
IPPB की नाकामी की वजह बैंक के मॉडल में ख़ामी को बताया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो पेमेंट बैंक का मॉडल शुरुआत से ही दोषपूर्ण था, क्योंकि प्रौद्योगिकी पर भारी रकम खर्च की गई थी। पेमेंट बैंक की कोर बैंकिंग सिस्टम (CSB) तथा इससे जुड़ी टेक्नॉलजी पर 1,000 रुपए से अधिक का खर्च किया गया। सूत्रों के मुताबिक, बैंक को इस तरह की टेक्नॉलजी की ज़रूरत ही नहीं थी।