अपने ही देश में अपने ही नागरिकों के खिलाफ शायद ही कोई इतनी नफरत फैलाता होगा। इनदिनों भारतीय मीडिया की हालत ऐसी ही हो गई है। सरकार के फैसले पर आंख बंद कर मुहर लगा देना। अगर सरकार के फैसले पर कोई सवाल उठा दे तो जनता की नजर में उसे देशद्रोही बना देती है।
सच में जब इतिहास लिखा जाएगा तब भारतीय मीडिया की भूमिका पर जमकर सवाल उठेंगे। गोदी तक ठीक थी लेकिन अब खुलकर खूंखार हो चुकी इस मीडिया ने सारे हदें पार कर दी हैं।
सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल पर लगातार मीडिया खतरनाक खबरें प्रसारित कर रहा है। वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर सिंह लिखते हैं कि ‘विभाजन के समय अगर न्यूज़ चैनल्स और व्हाट्सएप होते तो कोई ज़िंदा नहीं बचता।’
विभाजन के समय अगर न्यूज़ चैनल्स और व्हाट्सएप होते तो कोई ज़िंदा नहीं बचता।
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) December 10, 2019
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन विधेयक पर दिनभर चली लंबी बहस के बाद इसे लोकसभा में 311-80 के बहुमत के साथ पास कर दिया गया। हालांकि पहले से ही सत्तारूढ़ पार्टी की संख्या को देखते हुए लोकसभा में इसका पास होना तय माना जा रहा था। राज्यसभा में इस बिल के पास होने में समस्या हो सकती है।
राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए बीजेपी को एनडीए से बाहर दूसरे दलों का समर्थन चाहिए होगा। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि वह कौन से दल होंगे जो धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाले बिल का समर्थन करेंगे।
बता दें कि नागरिक संशोधन विधेयक 2019 के तहत सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव का प्रस्ताव है। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (जैसे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को आसानी से भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। जबकि मुसलमानों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।