अक्सर सिविल सर्विस में विफल होने वाले सवर्ण अभ्यर्थियों को कहते सुना है कि ‘आरक्षण की वजह से रह गया’
लेकिन अब एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें ‘पंडीजी’ आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति के बन गए हैं।
जी हां, मामला प्रचंड फर्जीवाड़े का है। देश के सबसे बड़े प्रतियोगी परीक्षा (Competitive Examination) इस स्तर की धांधली हो गई है लेकिन मनु मीडिया चुप्पी साधे हुए है।
ऐसा भी नहीं है कि मीडिया इस मामले से अंजान है। मिर्जापुर निवासी निखिल कुमार पांडेय ने यूपीएससी 2018 की परीक्षा में 446 ऑल इंडिया रैंकिंग हासिल की है। तब अख़बार में खबर छपी ‘किसान का बेटा बना आईएएस अधिकारी’
‘बिना कोचिंग निखिल ने हासिल की सफलता’ ‘गांव के घर का अभी तक नहीं हो सका प्लास्टर’
अब जब मामले का खुलासा हुआ है कि निखिल कुमार पांडेय का नाम चयनित अभ्यर्थियों में ‘एससी’ कोटे में दर्ज है यानी पंडीजी ने एक दलित की सीट पर अवैध कब्जा किया है तो मनु मीडिया ने चुप्पी साध ली है। IAS परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों की सूची में ‘निखिल कुमार’ का रोल नंबर 6310200 अनुसूचित जाति की श्रेणी में दर्ज है। लिस्ट में नाम और श्रेणी के साथ निखिल की ऑल इंडिया रैंकिंग 446 भी लिखी हुई है।
निखिल कुमार पांडेय अपना नाम सिर्फ निखिल कुमार लिखते हैं, शायद इसलिए भी कन्फ्यूजन बना रहा। निखिल के पिता का नाम यगोविंद पांडेय और मां का नाम सुधा पांडेय है।