मध्य प्रदेश में पुलिस किस तरह सत्तारूढ़ बीजेपी नेताओं के इशारे पर काम कर रही है, इसकी एक बानगी तब देखने को मिली जब पुलिस ने बीजेपी विधायक के बेटे की शिकायत पर बिना किसी जांच के मशहूर कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को गिरफ़्तार कर लिया।

गिरफ़्तारी के तीन दिन बाद पुलिस ने जब जांच की तो उसे कॉमेडियन के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिले। पुलिस ने माना कि कॉमेडियन के ख़िलाफ़ जिस वीडियो के आधार पर शिकायत दर्ज की गई थी, उसमें वो मौजूद ही नहीं हैं।

मुनव्वर फ़ारुक़ी को हिंदू देवी-देवताओं और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का अपमान करने के आरोप में चार अन्य लोगों के साथ 1 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 13 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

इंदौर पुलिस ने मुनव्वर को स्थानीय बीजेपी विधायक मालिनी सिंह गौड़ के बेटे और हिंदू रक्षक संगठन के संयोजक एकलव्य सिंह गौड़ की शिकायत पर गिरफ्तार किया था।

बीजेपी विधायक के बेटे ने मुनव्वर के ख़िलाफ़ आरोपों को साबित करने के लिए पुलिस को एक वीडियो भी दिया था। लेकिन जब वीडियो की जांच की गई तो पता चला कि मुनव्वर वीडियो में मौजूद ही नहीं हैं। ये वीडियो किसी और का है।

इंदौर के तुकोगंज पुलिस थाने के प्रभारी कमलेश शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक इंटरव्यू में खुद यह खुलासा किया है कि मुनव्वर फ़ारूक़ी के ख़िलाफ़ पुलिस को कोई सबूत नहीं मिला है।

शर्मा ने बताया कि शिकायतकर्ता ने जो वीडियो सबमिट किया है, उसमें एक दूसरा कॉमेडियन भगवान गणेश के बारे में मज़ाक करता दिख रहा है। लेकिन हिंदू देवताओं या गृहमंत्री अमित शाह का अपमान करते हुए मुनव्वर फारूकी के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं है।

ग़ौरतलब है कि बीजेपी विधायक के बेटे ने मीडिया के सामने इस बात का दावा किया था कि उसने ख़ुद मुनव्वर फ़ारूक़ी को हिंदू देवी-देवताओं का मज़ाक उड़ाते हुए देखा।

जिसका उसने वीडियो रिकॉर्ड किया और फिर शो पर आपत्ति दर्ज करते हुए बंद करा दिया। लेकिन अब पुलिस को मुनव्वर के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिल रहे।

ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि क्या पुलिस ने जब मुनव्वर को गिरफ्तार किया था तब वीडियो की जांच नहीं की थी। वीडियो में मुनव्वर की जगह कोई और कॉमेडियन है इस बात का पता लगाने में उसे तीन दिन कैसे लग गए।

क्या पुलिस को अपनी इस ग़लती की माफ़ी मांगते हुए मुनव्वर की न्यायिक हिरासत पर पुनर्विचार की अपील नहीं करनी चाहिए और मुनव्वर पर झूठे आरोप लगाने वाले बीजेपी विधायक के बेटे के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए?

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