उत्तर प्रदेश के अमेठी में BJP कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह की हत्या होती है, जिसके बाद रविवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाता है। उनके इस अंतिम संस्कार में अमेठी से नवनिर्वाचित सांसद स्मृति ईरानी शरीक होती हैं और उनके शव को कैमरों की छांव में कंधा देती नज़र आती हैं।

इस नज़ारे के उलट गुजरात के सूरत में एक कोचिंग सेंटर में आग लगती है, जिसमें तकरीबन 23 बच्चे झुलस कर मर जाते हैं, लेकिन इन बच्चों के शवों को कंधा देने गुजरात सरकार का कोई मंत्री या बड़ा नेता नहीं पहुंचता। गुजरात में BJP की सरकार है और मुख्यमंत्री विजय रुपाणी हैं।

समाजवादी पार्टी के बाद अब JDS का फरमान- कोई भी विधायक या नेता ‘गोदी मीडिया’ से ना करें बात

मुख्यमंत्री हादसे के बाद घायल बच्चों से मिलने अस्पताल तो पहुंचते हैं और मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपए का मुआवज़ा देने का ऐलान भी करते हैं। लेकिन मृतकों के परिजनों से मिलने उनके घर नहीं पहुंचते न ही उनका कोई मंत्री मृतकों के परिवार वालों से मिलता है।

इसपर व्यापमं घोटाले के व्हिसल ब्लोअर डॉ. आनंद राय ने गुजरात के सांसदों और मंत्रियों पर निशाना साधा है। उन्होंने दुख जताते हुए ट्विटर के ज़रिए कहा, “सूरत में बच्चों की लाशें को, इतने बड़े गुजरात का एक भी सांसद/ मंत्री कंधा देने नहीं पहुंचा”। 

अब सवाल यह है कि क्या गुजरात के सांसदों और मंत्रियों की ये नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं है कि वह अपने इलाके के उन परिवार वालों से मिलें जिन्होंने शासन-प्रसासन के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रवैये के चलते अपने बच्चों को खो दिया? क्या सांसदों और मंत्रियों को मृतकों के परिजनों से मिलकर उनका ढांढस नहीं बांधना चाहिए था?

गुजरात के सांसदों और मंत्रियों को तो उत्तर प्रदेश से कुछ सीखना चाहिए। जहां केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और योगी सरकार में मंत्री मोहसिन रज़ा जैसे लोग सुरेंद्र सिंह के शव को कंधा देने पहुंचते हैं। वो बात अलग है कि मीडिया ने स्मृति ईरानी के कंधा देने पर ही फिल्म बना डाली।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here