मोदी सरकार की एक और नाकामी सामने आई है। मुनाफे में रहने वाली भारत की नवरत्न कंपनी आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ONGC) इन दिनों नकदी संकट से जूझ रहा है। ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के कैश रिजर्व में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही कंपनी के अन्य बैंक बैलेंस में भी कमी आई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले चार सालों में ONGC के कैश रिज़र्व में 9000 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमी देखी गई है। जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। ONGC के इतिहास में कैश की ऐसी कित्तल इससे पहले कभी देखने को नहीं मिली। कंपनी में नकदी का ये संकट बीजेपी नेता संबित पात्रा के स्वतंत्र निदेशक बनने के बाद से और गहराया है।

31 मार्च 2019 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में कंपनी के पास सिर्फ 504 करोड़ रुपए कैश रिज़र्व और बैलेंस रह गया है। मार्च 2018 में यह गिरकर 1013 करोड़ पर पहुंचा था। यानी एक साल के अंदर कंपनी का कैश रिजर्व आधा हो गया है।

संबित पात्रा के पदभार संभालने से पहले मार्च 2017 में ONGC का कैश एंड बैलेंस रिज़र्व 9,511 करोड़ था। उससे पहले यानी मार्च 2016 में यह आंकड़ा 9,957 करोड़ था। सितंबर 2017 में संबित पात्रा को ONGC का स्वतंत्र निदेशक बनाया गया, जिसके बाद से लगातार कंपनी के कैश रिज़र्व में गिरावट दर्ज की गई। तीन सालों में आलम ये हो गया कि कैश रिजर्व में 9007 करोड़ की गिरावट आ गई।

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यह गिरावट ऑयल मार्केटिंग कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और गुजरात स्थित जीएसपीसी की हिस्सेदारी में शामिल दो सौदों की वजह से आई है। इन सौदों ने ओएनजीसी के नकदी भंडार को नुकसान पहुंचाया था।

इससे पहले मई के महीने में ओएनजीसी के पूर्व निदेशक (वित्त) आलोक कुमार बनर्जी ने एक न्यूज़ पोर्टल से बातचीत में कहा था कि 63 साल के ओएनजीसी के इतिहास में यह पहला मौका है जब कंपनी का कैश रिजर्व इस स्तर पर पहुंचा है।

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हालांकि, सरकार की तरफ से कहा गया है कि ओएनजीसी के पास बैंक क्रेडिट्स और कैपिटल मार्केट्स के जरिए पर्याप्त नकदी भंडार हैं। पिछले छह वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2014 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में ओएनजीसी का उत्खनन कुओं पर खर्च लगभग 11,687 करोड़ रुपये से घटकर 6,016 करोड़ रुपये रह गया है।

इतने वर्षों में यह गिरावट करीब 50 फीसदी है। यह गिरावट घरेलू क्रूड ऑयल के उत्पादन में आई गिरावट की वजह से है। आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2011-12 में क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन 38.09 मिलियन मिट्रिक टन था जो वित्त वर्ष 2017-18 में घटकर 35.68 मिलियन मिट्रिक टन रह गया।

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