
ONGC की बर्बादी की सीधे जिम्मेदार भले ही मोदी सरकार है मगर संबित पात्रा की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए, ONGC के डायरेक्टर बनकर वो दिनभर राम मंदिर की चिंता करते रहते हैं।
मोदी सरकार पर लगातार देश की सरकारी कंपनियों को नज़रंदाज़ कर निजी उद्योगों का हिमायती होने के आरोप लगते रहे हैं। और अब सरकार ने फिर से इसी तरह का फैसला लिया है।
‘लाइव मिंट’ की खबर के मुताबिक, सरकार ओएनजीसी के 149 छोटे तेल एवं गैस क्षेत्रों को प्राइवेट और विदेशी कंपनियों को बेचने पर विचार कर रही है।
सरल भाषा में कहें तो सरकार ओएनजीसी की 149 छोटी कंपनियों को निजी या विदेशी हाथों में सौंपने जा रही है। गौरतलब है कि सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार विनिवेश के नाम पर लाखों करोड़ की सरकारी कंपनियों को निजी उद्योगों को बेच चुकी है।
मोदीराज में ONGC हुआ बर्बाद, 149 तेल और गैस क्षेत्रों को विदेशी कंपनियों के हाथों बेचेगी सरकार
विनिवेश उन सरकारी कंपनियों का समझ आता है जो घाटे में चल रही हों। लेकिन ओएनजीसी देश की सबसे ज़्यादा मुनाफा कमाने वाली सरकारी कंपनी है।
सरकार ये सब तब कर रही है जब ओएनजीसी खुद इसका विरोध कर चुकी है। ये फैसला 12 अक्टूबर की एक बैठक के बाद किया गया जिसमें प्रधानमंत्री मोदी खुद मौजूद थे।
गौरतलब है कि ओएनजीसी की कुछ फील्ड्स को प्राइवेट और विदेशी कंपनियों को देने की ऑयल मिनिस्ट्री की यह दूसरी कोशिश है।
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पिछले साल अक्टूबर में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बंस ने सरकारी तेल कंपनियों के उत्पादन वाले 15 क्षेत्रों का चयन किया था, जहां कुल 79.12 करोड़ टन क्रूड ऑयल और 333.46 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस है।
डीजीएच इन क्षेत्रों को इस उम्मीद में प्राइवेट कंपनियों को देना चाहता था कि वे बेसलाइन एस्टिमेट और वहां से उत्पादन में बढ़ोतरी कर पाएंगी। हालांकि इस योजना पर कदम नहीं बढ़ाए जा सके क्योंकि ओएनजीसी ने डीजीएच के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था।
क्या – अपने गरेबां में झाँक कर अपनी योग्य-पात्रता को भी साबित करने का प्रयास करेंगे –
राहुल गाँधी व राबर्ट वाड्रा पर सवाल दागने वाले संबित पात्रा … ?
– जीनगर दुर्गा शंकर गहलोत, वरिष्ठ नागरिक व पत्रकार, कोटा (राज.)
(07-02-2019 ; 02:50 AM)