यूरोपीय संघ के सांसदों को कश्मीर दौरे की अनुमति दिए जाने पर एआईएमआईएम चीफ़ असदुद्दीन औवेसी ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यूरोपीय सांसदों की विचारधारा हिटलर से जुड़ी है और वो इस्लामोफोबिया से ग्रस्त हैं। ऐसे लोगों को कश्मीर क्यों बुलाया गया?
ओवैसी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह साफ बताता है कि मोदी सरकार कश्मीर पर अपनी कहानी बेचने में नाकाम हो रही है, इसीलिए ईयू के ऐसे सांसदों को बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि ये लोग हिटलर की तारीफ करने वाले हैं। ये मुसलमान और इस्लाम से नफ़रत करने वाले हैं। इनको सरकार लाई है।
ओवैसी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि इनको बुलाने वाले कौन से एनजीओ से ताल्लुक़ रखते हैं? यह आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं है। जब आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं है तो इन लोगों को क्यों बुलाया गया? सरकार इन्हें क्या दिखाना चाहती है।
अगर कश्मीर हमारा ‘आंतरिक मुद्दा’ है तो 28 यूरोपीय सांसद कश्मीर में क्या ‘पिकनिक’ मनाने आए हैं?
सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे फासीवादी लोगों को बुलाकर आप दुनिया को क्या बता रहे हैं? आप देश को क्या पैगाम दे रहे हैं? कश्मीरियों को क्या पैगाम दे रहे हैं? ये तो इनको फैसला करना है। इतनी बड़ी गलती।
वहीं ओवैसी के इन आरोपों का यूरोपीय संघ के सांसदों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जवाब दिया है। सांसदों ने कहा, ‘’कश्मीर के बारे में काफी कुछ कहा और लिखा जा रहा है। हम यहां की राजनीति में दखल देने नहीं आए हैं। हम सिर्फ तथ्य जुटाने आए हैं।’’ उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने कहा कि हम नाज़ीवादी हैं। अगर ऐसा होता तो जनता हमें नहीं चुनती।
विदेशी सांसदों की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस पर भी ओवैसी ने आपत्ति दर्ज की है। उन्होंने कहा कि देश के सांसदों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से रोकने वाली सरकार यूरोप के सांसदों को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की इजाज़त दे रही है। सरकार किसकी आंखों में धूल झोंक रही है? उन्होंने यूरोपीय संघ के सांसदों को जवाब देते हुए कहा कि हिटलर को भी जनता ने ही चुना था।