उत्तर प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की पोल उस समय खुली गई, जब एक इमरजेंसी मरीज को अस्पताल ले कर जा रही एक सरकारी एम्बुलेंस का तेल बीच रस्ते में खत्म हो गया। मामला मेरठ से सटे बिजनौर जिले का है, जहाँ पर एक महिला की तबियत ज्यादा बिगड़ने पर जिला अस्पताल के डॉक्टर ने महिला को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।

परिजन मरीज को लेकर सरकारी एम्बुलेंस से मेडिकल कॉलेज जा रहे थे कि अचानक मेरठ के मवाना क्षेत्र में एम्बुलेंस का तेल खत्म हो गया। जिसके बाद 4.5 किलोमीटर तक एम्बुलेंस को एक ट्रैक्टर ट्राली से बांधकर पेट्रोल पंप तक लाया गया।

इस दौरन मरीज की तबियत और बिगड़ गई, आनन फानन में पेट्रोल पंप से तेल भरवा कर एम्बुलेंस मेडिकल कॉलेज पहुंची। उधर बीच रास्ते में तेल खत्म होने की खबर आने के बाद अधिकारियों के होश उड़ गए। वैसे तो योगी सरकार उत्तर प्रदेश में बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा करती है पर इस घटना ने योगी सरकार के दावों की पोल खोलकर रख दी है।

उत्तर प्रदेश में 108 और 102 लाइफ लाइन एम्बुलेंस सर्विस के नाम से दो प्रकार की सरकारी एम्बुलेंस सेवाएं चलती है जिसका संचालन GVK MRI नाम की निजी कंपनी करती हैं। विधानसभा चुनाव से पहले दूसरी कंपनी में ठेका दिए जाने और एम्बुलेंस कर्मचारियों की छंटनी को लेकर कई बार राजधानी लखनऊ में धरना प्रदर्शन हो चुके हैं।

डॉक्टरों का कहना है जिस प्रकार बीच रस्ते में एम्बुलेंस का तेल खत्म हुआ अगर थोड़ी से भी देर होती तो मरीज की जान भी जा सकती थी। जिला प्रोग्राम मैनेजर गिरीश पुरोहित ने बतया कि मरीज के परिजनों से बात हो गई है, और मामले की जांच की जा रही है।

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