
ऐसी मान्यता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर रोज 18 घंटे काम करते हैं और कभी छुट्टी नहीं लेते। फिलहाल पीएम मोदी चार पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार प्रसार कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या पार्टी के लिए किए जा रहे इस प्रचार प्रसार को भी 18 घंटे में गिना जाता है?
9 नवंबर को पीएम मोदी छत्तीसगढ़ के जगदलपूर में बीजेपी का प्रचार करने पहुंचे थें। यहां उन्होंने कई ऐसी बाते कही जो हास्यास्पद और लगभग काल्पनिक है। पीएम मोदी ने गोदी मीडिया और सोशल मीडिया ट्रोल्स द्वारा ईजाद ‘अर्बन नक्सल’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा…
”अर्बन माओवादी शहरों में, AC घरों में रहते हैं। साफ सुथरे दिखते हैं। उनके बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं। अच्छी अच्छी गाड़ियों में बैठते हैं। लेकिन वहां बैठे-बैठे रिमोर्ट सिस्टम से हमारे आदिवासी बच्चों का जीवन बर्बाद करते हैं। और सरकार जब अर्बन माओवादियों पर कानूनी कार्रवाई करती है तो कांग्रेस उन्हें बचाने मैदान में आती है।”
पीएम मोदी के इस बयान में सोशल मीडिया ट्रोल्स वाली भाषा नजर आती है। क्या पीएम मोदी चिन्हित कर सकते हैं कि कौन ‘अर्बन माओवादी’ और कौन नहीं? या पीएम मोदी को ऐसा लगता है कि उनकी और उनकी पार्टी बीजेपी की आलोचना करने वाले सभी लोग अर्बन नक्सल हैं?
और अगर पीएम मोदी को पता है कि अर्बन नक्सल कौन हैं तो फिर मंच से कथा वाचन करने की जगह कार्रवाई क्यों नहीं कर रहें? अगर अर्बन नक्सल की वजह से आदिवासी बच्चों का जीवन बर्बाद हो रहा है तो कार्रवाई में इतनी देर क्यों हो रही है? पिछले चार साल में पीएम मोदी ने कितने अर्बन नक्सल पकड़े हैं? पीएम मोदी को ये भी बताना चाहिए की इंटेलिजेंस ब्यूरो से उन्हें कितने अर्बन नक्सल की जानकारी मिली है?
सेंट्रल में बीजेपी की सरकार है, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। जहां के आदिवासी बच्चों के बर्बाद होने की बात कही जा रही है वहां बीजेपी की सरकार है, रमन सिंह मुख्यमंत्री हैं। फिर दिक्कत कहां आ रही है? केंद्र और राज्य सरकार मिलकर अर्बन नक्सल और रूरल नक्सल को खत्म क्यों नहीं कर रही है?
केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार है लेकिन पीएम मोदी नक्सल समस्या के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बता रहे हैं, अब इससे ज्यादा हास्यास्पद बात क्या होगी? अगर कांग्रेस नक्सलियों की मदद कर रही है तो पीएम मोदी कांग्रेसियों पर भी कार्रवाई क्यों नहीं रही है? मंच से अपनी गलती कांग्रेस पर थोपने की कला जनता समझ चुकी है।
अगर छत्तीसगढ़ में डीडी न्यूज का पत्रकार मारा जाता है तो इसके लिए छत्तीसगढ़ की रमन सरकार जिम्मेदार है, कांग्रेस नहीं। छत्तीसगढ़ में 2003 से ही रमन सिंह मुख्यमंत्री हैं। अभी तक उस राज्य से नक्सलवाद खत्म क्यों नहीं हुई? मोदी सरकार को चार साल हो चुके हैं अभी तक नक्सलवाद खत्म क्यों नहीं हुआ?
कहीं ऐसा तो नहीं है कि पीएम मोदी नक्सलवाद को खत्म ही नहीं करना चाहते। क्योंकि मुख्यमंत्री रहते हुए मई 2010 में नरेंद्र मोदी ने कहा था नक्सली हमारे अपने आदमी हैं।
नोटबंदी का ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने कहा था 1000 और 500 के पुराने नोट बंद होने से नक्सलवाद और आतंकवाद की कमर टूट जाएगी। लेकिन नोटबंदी के ठीक दो साल बाद पीएम मोदी खुद कह रहे हैं कि अपने भाषण में नक्सलवाद को जिंदा बता रहे हैं।
नोटबंदी से पहले तो सिर्फ माओवादी ही थे, अब कथित अर्बन माओवादी भी चर्चा में आ गए हैं। इसका मतलब क्या समझा जाए, क्या नोटबंदी से नक्सलियों को फायदा हुआ है?