prashant bhushan
Prashant Bhushan

दिल्ली में जो हिंसा हुई है इसमें अब तक 40 से ज्यादा लोगों की जान गयी है। जो अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रही है। देश की राजधानी में लगातार तीन दिनों तक हिंसा होती रही जिसे न सरकार और न ही पुलिस रोकने में कामयाब रही है। इन बातों को लेकर लोग केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार और दिल्ली पुलिस पर आरोप भी लगा रहे हैं।

दिल्ली के नार्थ ईस्ट इलाके में हुए इस हिंसा को सांप्रदायिक दंगा बोलना चाहिए। क्यूंकि हिंसा के वक़्त भीड़ लोगों को धर्म के आधार पर उन्हें चिन्हित कर मौत के घात उतार रही थी। लोगों से जय श्रीराम और हनुमान चालीसा सुनाने को बोला जा रहा था नहीं तो उसके बाद उन्हें मार दिया जा रहा था।

जब पुलवामा में 300kg RDX का पता नहीं चला तो दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड का क्या पता चलेगा?

दिल्ली की इस सांप्रदायिक हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर एक गोदी मीडिया के पत्रकारों का पोस्टर शेयर कर लिखा- ”दिल्ली में दंगा हुआ चौंकिए मत, ये नफ़रत ऐसे ही नहीं फैली उसके लिए दिन-रात टीवी चैनल पर हिन्दू-मुस्लिम करने वाले पत्रकारों का अहम् योगदान है।”

दरअसल प्रशांत भूषण ने दिल्ली में हुए हिंसा को लेकर तथाकथित मुख्यधारा के टेलीविजन पत्रकारों और उनके मीडिया घरानों पर निशाना साधा है। जहां इनके न्यूज़रूम में दिन-रात पिछले 6 सालों से देश को बांटने वाली सामग्रियों को दिखाया जा रहा है।

प्रशांत भूषण का सीधा निशाना आज के इन गोदी मीडिया के पत्रकारों पर है जो रात-दिन अपने न्यूज़ रूम से हिन्दू-मुस्लिम, हिन्दुस्तान-पाकिस्तान और कश्मीर से जुडी गलत खबरों को प्रसारित करते रहे हैं। यह पत्रकार सरकार के खिलाफ बोलने वाले हर नागरिक को देश के खिलाफ बताते हैं।

आज जो देश की राजधानी में इस तरह सांप्रदायिक हिंसा की घटना घटी है। इसकी आशंका देश के समझदार लोग पहले से ही कर रहे थे। क्यूंकि केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार आरएसएस के हिंदुत्व अजेंडे को देश में लागू करना चाहती है। जिसमें मोदी सरकार का सबसे ज्यादा अगर कोई मदद कर रहा है तो वह है ये गोदी मीडिया के पत्रकार, जो रात दिन विपक्ष और अल्पसंख्यक को देश के विलेन की तरह बताते रहते हैं।

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