मालेगांव ब्लास्ट केस की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को रक्षा मंत्रालय की संसदीय कमेटी में जगह मिल गई है। उन्हें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में बनी इस कमेटी का सदस्य बनाया गया है। 21 सदस्यों की इस कमेटी में मीनाक्षी लेखी, सुप्रिया सुले, शरद पवार, ए राजा और फारुख अब्दुल्ला समेत विभिन्न दलों के सांसद शामिल हैं लेकिन सबसे ज्यादा विवाद भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर की सदस्यता पर हो रहा है।
सवाल उठ रहे हैं कि जो शख्स खुद किसी आतंकी घटना में शामिल होने का आरोपी हो वो देश की सुरक्षा तय करने वाली कमेटी का हिस्सा क्यों है? जो सरकार देश की सुरक्षा करने का दावा करती है वह ऐसी प्रोफाइल के नेता को शामिल करके सुरक्षा जैसे मामले पर रिस्क क्यों ले रही है ? जो प्रधानमंत्री देशहित को सर्वोपरि बताते हैं वो आतंकवाद की आरोपी में ऐसी काबिलियत क्यों देखते हैं ?
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मोदी सरकार की इसी दोहरी राजनीति पर निशाना साधते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तंज किया है- प्रज्ञा ठाकुर रक्षा मामले की संसदीय कमेटी में चुनी गई हैं। जब प्रज्ञा ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहा था तब मोदी ने कहा था कि मैं मालेगांव ब्लास्ट केस की इस आरोपी को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा। लेकिन अब देश की सुरक्षा तय करने के लिए उन्होंने एक आतंकवाद की आरोपी को ही चुना है, निःसंदेह इससे काबिल कौन मिलता।
Pragya Thakur Nominated to Parliamentary Panel on Defence.
Modi said he couldn't forgive the Malegaon blasts case accused after she termed Nathuram Godse a 'patriot'. But of course a terror accused is the most suitable person for deciding country's defence https://t.co/QmUKuoQNXc— Prashant Bhushan (@pbhushan1) November 21, 2019
जब से प्रज्ञा बीजेपी में शामिल हुई हैं तब से उन्हें एक से बढ़कर एक बड़ी जिम्मेदारियां मिलती जा रही हैं।
उनकी प्रोफाइल को देखते हुए पहले बीजेपी ने उन्हें कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव में उतारा गया और जब वह जीतकर संसद पहुंची तो अब उन्हें रक्षा मामले की संसदीय कमेटी में चुन लिया गया है। ऐसे में यह समझना मुश्किल नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी में किस तरह की प्रोफाइल के लोगों को बढ़ावा दिया जाता है।