जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में चल रहे छात्र आंदोलन में कई छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज किया गया है जिससे वो घायल हो गए हैं। पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर चल रही तमाम तस्वीरों में देखा जा सकता है कि किस तरह से छात्र छात्राओं को मारा पीटा जा रहा है, सड़कों पर घसीटा जा रहा है।

जहां एक तरफ बल प्रयोग से छात्र आंदोलन को कुचलने की तैयारी की जा रही है वहीं दूसरी तरफ गिरी हुई हरकतें करके छात्र छात्राओं के मनोबल को तोड़ने की भी कोशिश की जा रही है। इसी का उदाहरण है JNU की छात्रों के साथ पुलिस द्वारा बदसलूकी की जा रही है। कई छात्राओं ने आरोप लगाया है कि लाठीचार्ज के दौरान पुलिस वालों ने उन्हें गलत तरीके से छुआ और शारीरिक रूप से असॉल्ट किया।

दिल्ली पुलिस किस हद तक संवेदनहीन हो चुकी है इसकी पुष्टि कई वीडियो और तस्वीर करते हैं। एक अन्य वायरल वीडियो में देखा गया कि कैसे दृष्टिहीन छात्र शशिभूषण पांडेय को दिल्ली पुलिस के जवानों ने मारा-पीटा और बीच सड़क पर पटक कर सीने पर चढ़ गए।

पुलिस की पिटाई से घायल शशिभूषण पांडेय को अस्पताल ले जाया गया और अब थोड़ी राहत के बाद वह कैंपस वापस आ गए।

इसकी खबर मिलते ही सैकड़ों किलोमीटर दूर बदायूं स्थित अपने घर पर रह रही नजीब की मां तुरंत ही JNU आ गईं। जेएनयू आकर उन्होंने घायल छात्र शशि भूषण पांडे से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य को लेकर अपने एक मां की तरह फिक्र जताया।

इसके साथ ही मां फातिमा नफीस ने एक वीडियो संदेश भी जारी किया और आंदोलन कर रहे छात्र-छात्राओं को बहादुर बच्चे बताते हुए सभी से अपील किया कि वो इनका साथ दें।

गौरतलब है कि 3 साल पहले जेएनयू के माही-मांडवी छात्रावास में रह रहे नजीब अहमद के साथ एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने मारपीट की थी और उसके बाद नजीब वहां से गायब हो गए। लगभग 3 साल हो गए हैं और नजीब का पता नहीं लग सका है।

इस 3 साल में जेएनयू के छात्र छात्राओं ने मां फातिमा नफीस के साथ कई बड़े आंदोलन किए, सीबीआई हेड क्वार्टर के सामने प्रोटेस्ट करते हुए कई बार छात्र-छात्राओं को पुलिस के लाठी-डंडों का सामना भी करना पड़ा है।

यानी बेटे की तलाश में न्याय की लड़ाई लड़ रही फातिमा नफीस को जब जब सहारे की जरूरत हुई तब तब JNU के छात्र-छात्राओं ने बखूबी साथ दिया और अब जेएनयू के छात्र छात्राओं पर मुसीबत आई है तो मां फातिमा नफीस भी उनके आंदोलन का समर्थन कर रही हैं, इन बच्चों का ख्याल रख रही हैं।

तमाम दक्षिणपंथी संगठन और कथित राष्ट्रवादी टीवी चैनलों ने जिस तरह का माहौल बना दिया है वो असल हिंदुस्तान की सच्चाई नहीं है। चाहे वो JNU हो या हिंदुस्तान का बाकी हिस्सा, सब जगह जाति धर्म के दायरे से ऊपर उठकर आम आदमी एक दूसरे के काम आ रहे हैं लेकिन मीडिया की बातें सुनकर ऐसे लगता है कि जाति और धर्म के नाम पर दीवारे खड़ी हो गई हैं।

ये वही मीडिया है जो नजीब अहमद के खिलाफ तरह-तरह के प्रोपेगेंडा इसलिए चलाता है क्योंकि वो एक मुसलमान है। ये वही सरकार है जो नजीब मामले में आनाकानी करती है उनके परिवार से बदसलूकी करती है क्योंकि वो एक मुसलमान है। लेकिन ये जो हिंदुस्तान है वो ऐसी मिसालों का गवाह बनता रहता है जब जाति-धर्म से ऊपर उठकर लोग एक दूसरे के सुख दुख में साथ आते हैं। भले ही मीडिया वाले दिन रात नफ़रत की बात करते हैं और नफ़रत फ़ैलाने वाले नेताओं का एजेंडा चलाते हैं।

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