राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपना अभिभाषण देते हुए 21 वीं सदी में जलसंकट को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “जल संरक्षण के लिए आने वाले समय में काम करेंगे। यह संकट गहराएगा। हमें अपने बच्चों के लिए और आने वाली पीढ़ी के लिए जल बचाना होगा।”
इस भीषण गर्मी में देश में हर कोने से जल संकट के खबरें सामने आ रही हैं। महाराष्ट्र के बीड जिले में चकलांबा गांव के लोग पानी की भयंकर कमी के चलते 43 डिग्री तापमान में भूख हड़ताल पर चले गए हैं। गांव के लोग इससे पहले फरवरी में भी पानी के लिए 12 दिन की भूख हड़ताल कर चुके हैं। लेकिन प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी।
ये कैसी बेरुखी है कि एक तरफ महाराष्ट्र के किसान और आम लोग भारी जल संकट की वजह से ‘आकाल’ के कगार पर खड़े हैं। वहीं, दूसरी तरफ महाराष्ट्र की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी 18 सांसदों वाली और महाराष्ट्र सरकार में भागीदार ‘शिवसेना’ अयोध्या में मंदिर बनवाने में लगी हुई है।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने 18 सांसदों के साथ मुकेश अम्बानी के प्राइवेट हवाई जहाज से उड़कर अयोध्या सिर्फ इसीलिए चलकर जाते हैं ताकि वो मंदिर बनाने के लिए हवा बना सकें। लेकिन वो अपने ही गृह राज्य महाराष्ट्र में उन लोगों और मरते किसानों की सुध नहीं ले सकते जहां लोग पानी की वजह से मरने की कगार पर खड़े हैं। अब ये महाराष्ट्र और देश की जनता को सोचना पड़ेगा कि उनके नेता उनके लिए कहां खड़े हैं।
क्या उद्धव ठाकरे की शिवसेना और उसके 18 सांसद अयोध्या में मंदिर बनवा कर महाराष्ट की सूख चुकी ज़मीन और वहां के लोगों की प्यास बुझा सकते हैं? अगर हां तो शिवसेना की इस मुहीम में महाराष्ट्र के लोगों को भी इनका साथ देना चाहिए!!
चकलांबा गांव के 70 साल के मछिंद्रा गावड़े ने रूहांसे गले से कहा, “यहां का हर एक कुआँ सूख गया है। फसल के लिए पानी का एक भी स्रोत नहीं है। अगर हमें पर्याप्त बारिश नहीं मिली तो इस साल खरीफ फसल की बुवाई नहीं कर पाएंगे।” ऐसा नहीं है कि गांव के लोगों ने इसकी शिकायत सरकार से नहीं की है। इस मामले की शिकायत गांव के लोगों ने तीन साल पहले 2016 से ही महाराष्ट्र सरकार से संबंधित विभाग में कर रहे हैं। लेकिन इन बेबसों की सुनने वाला कोई नहीं है।
सवाल उठता है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जो संसद भवन से देश में छाए जल संकट के बारे में केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों के सभी सांसदों को अपना अभिभाषण देते हुए 21 वीं सदी में जलसंकट को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। इस बैठक में महाराष्ट्र सहित समस्त देश के सांसद बैठे हुए हैं लेकिन क्या ये सांसद जिस क्षेत्र की जनता की नुमाईंदगी करते हैं वो अपनी जनता के लिए संकट की घडी में खड़े रहते हैं?