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आरबीआई के गवर्नर पद से उर्जित पटेल द्वारा अचानक इस्तीफे दिए जाने के बाद बीते मंगलवार को मोदी सरकार ने शक्तिकांत दास को नया आरबीआई गवर्नर नियुक्त किया है।
लेकिन सरकार द्वारा नए गवर्नर की नियुक्ति ने देश में एक और नया विवाद खड़ा कर दिया है।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने नए गवर्नर को ना सिर्फ मोदी सरकार का प्रवक्ता बताया है बल्कि उनके अनुसार मोदी सरकार द्वारा सभी संवैधानिक संस्थाओं को बर्बाद करने के लिए मोदी सरकार द्वारा लिया गया एक और बड़ा फैसला है।
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प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर लिखा है कि आरबीआई के नए गवर्नर नियुक्त किए गए शक्तिकांत की मुख्य योग्यता मोदी सरकार का प्रवक्ता होना मात्र है जिन्होंने नोटबंदी पर जोरदार तरीके से मोदी सरकार का बचाब किया था।
आगे प्रशांत भूषण लिखते हैं कि मोदी सरकार द्वारा इस प्रकार की नियुक्तियां देश की संवैधानिक संस्थाओं को बर्बाद कर देंगी।
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आरबीआई के गवर्नर के रूप में शक्तिकांत दास की नियुक्ती 3 वर्षों के लिए की गई है। साथ ही शक्तिकांत दास 1980 बैच के तमिलनाडु काडर के आईएएस अधिकारी हैं। जो कि वह वित्त आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं।
शैक्षिक योग्यता पर भी उठ़ रहें हैं सवाल
शक्तिकांत दास को आरबीआई का गवर्नर नियुक्त करने पर उनकी शैक्षिक योग्यता को लेकर भी गंभीर सवाल उठ़ रहें हैं। दरअसल शक्तिकांत दास इतिहास में स्नात्कोत्तर हैं।
आलोचकों का कहना है कि इतिहास विषय में पढ़ाई करने वाले व्यक्ति को देश की सबसे बड़ी आर्थिक संस्था का सर्वेसर्वा कैसे बनाया जा सकता है।
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पत्रकार गोपीकृष्णा ने ट्वीट कर लिखा है कि हां हां … इतिहास का पढ़ने वालों के लिए भी अब दायरा व्यापक है जैसे इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने क्रिकेट की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुने गए थे। वैसे ही अब एमए इतिहास से पढ़ाई करने वाले शक्तिकांत दास आरबीआई गवर्नर के रूप में चुने गए है..