RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि भारत अच्छी जॉब्स उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। रघुराम ने ये बात कल रविवार को आयोजित किए गए ‘ इंडिया एट 75’ लेक्चर सिरीज़ में सामने रखी।

रघुराम राजन ने कहा ” पिछले कुछ साल भारत के लोगों के लिए बुरे साबित हुए हैं। खासकर भारत के युवाओं के लिए जिन्हें कोरोना महामारी में बहुत कुछ सहना पड़ा।”

रघुराम ने आगे अपनी बात में कहा कि केवल कोरोना को भारत में हो रही इस धीमी वृद्धि के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। यह कई वर्षो का परिणाम है।

रघुराम ने भारत में हाल ही में अग्निपथ स्कीम के खिलाफ हुए प्रदर्शन को भी ध्यान में रखा और कहा ” हमारी सबसे बड़ी खामी है कि हम अच्छी जॉब्स लोगों को उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। आपने देखा होगा कि कैसे तकरीबन 1.2 करोड़ लोगों ने केवल 35,000 निकले रेलवे जॉब्स के लिए आवेदन किया था।”

रघुराम राजन ने आगे कहा, “भारत में महिलाओं की श्रम भारीदारी साल 2019 में 20.3 प्रतिशत के साथ G 20 में सबसे कम रही। भारत साऊदी अरेबिया से इस मामले में प्रतिस्पर्धा करता आ रहा है ।

हालांकि, भारत 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद तेजी से आगे बढ़ा मगर ये केवल कई सालों में एक बार होने वाला अपवाद है। ”

यह पहली बार नहीं है जब रघुराम ने भारत में बढ़ती बेरोज़गारी के ऊपर अपनी राय रखी हो। जून 2022 में इकनॉमिक टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि भारत में बढ़ती बेरोजगारी भारत के गरीब वर्ग के लोगों के लिए खिलाफ एक असमान विभाजन करता है। भारत की सरकार मस्जिदों में मंदिर तलाशने में व्यस्त हो चुकी है।

आपको बता दें कि भारत में पिछले महीने ही अग्निपथ स्कीम के चलते प्रदर्शन किए गए। लोगों ने अपनी आपत्ति जताते हुए सरकार द्वारा लागू की गई इस स्कीम को वापस लेने की गुहार लगाई। इसी के साथ पिछले ही सरकारी नौकरियों में कुल पदों की संख्या भी घटाई जा रही हैं।

पिछले महीने यू पी एस सी में तीसरी बार भी पास न होने के कारण एक 28 साल के एक उम्मीदवार ने अपनी जान ले ली। गौरतलब है की UPSC में भी कुल सीटों की संख्या लगभग आधी हो गई हैं।

फरवरी 2022 में गृह मंत्रालय द्वारा राज्य सभा के सामने रखी गई नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2018 से 2020 के बीच 10,000 लोग बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हुए ।

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