भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर और मोदी सरकार के आलोचक रघुराम राजन ने एक बार फिर से केंद्र की नीतियों पर तल्ख टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि भारत की ‘अल्पसंख्यक विरोधी छवि’ के चलते देश की कंपनियों को अंतराष्ट्रीय बाज़ारों में नुकसान झेलना पड़ सकता है।

रघुराम राजन का मानना है कि देश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने इसपर चिंता जताते हुए कहा, “भारत की अल्पसंख्यक विरोधी छवि से भारतीय उत्पादों के लिए (अन्य देशों में) बाजार का नुकसान हो सकता है।” रघुराम राजन के अनुसार ऐसी छवि से विदेशी सरकारें हमारे देश पर कम भरोसा करेंगी। उनका सोचना है कि दुनियाभर में भारत को धर्मनिरपेक्षिता और लोकतंत्र के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन अब हमें छवि की लड़ाई लड़नी पड़ रही है।

बता दें, रघुराम राजन ने अपने इन विचारों को बृहस्पतिवार को टाइम्स नेटवर्क इंडिया इकनॉमिक कॉन्क्लेव में साझा किया। उनके अनुसार अगर सरकार अपने नागरिकों के साथ सम्मानपूर्वक व्यहवार करती है तो विदेशों में लोग हमारे देश की कंपनियों से सामान खरीदते हैं। उन्हें लगता है कि वो एक ऐसे देश से सामान खरीद रहे हैं जो सही काम करने की कोशिश कर रहा है।

रघुराम राजन ने कहा कि देश की छवि का असर उपभोगताओं के साथ-साथ अन्य देशों की सरकारों के साथ संबंधों पर भी पड़ता है। उन्होंने उदहारण देते हुए समझाया कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की को अपने देश की रक्षा के लिए खड़े व्यक्ति के रूप में देखा जाता है। यही वजह है कि दुनिया भर के देश यूक्रेन के साथ व्यापार करने से पीछे नहीं हटते, लेकिन कुछ देश रूस के साथ व्यापर करने से बचने लगे हैं।

दरअसल, बीते कुछ सालों से सामाजिक कार्यकर्ता और विपक्षी दल के नेता आरोप लग रहे हैं कि मोदी सरकार अल्पसंख्यकों के साथ भेद-भाव करती है। उनका मानना है कि देश में दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों के साथ अन्याय होता है। जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के बाद मुसलमानों के घर और दुकानों पर चले बुलडोज़र इसका ताज़ा उदाहरण है। रघुराम राजन अक्सर मोदी सरकार पर हमलावर रहते हैं। उन्होंने नोटबंदी से लेकर जेएसटी को सरकार के गलत निर्णय बताए हैं।

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