झारखंड के खूंटी ज़िले के आदिवासियों ने संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत मिले अधिकारों को लेकर 2017 में पत्थलगड़ी अभियान की शुरुआत की थी। अभियान को ग़ैरकानूनी बताते हुए पुलिस ने इसे रोकने के लिए हज़ारों आदिवासियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए।
अंग्रेज़ी वेबसाइट स्क्रॉल के मुताबिक, खूंटी ज़िले में जून 2017 से जुलाई 2018 तक पुलिस ने 19 एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें 11 हज़ार 200 से अधिक आदिवासियों के खिलाफ़ सार्वजनिक आदेश में गड़बड़ी से संबंधित अपराधों के मामले में आरोपी बनाया गया था।
जिसमें 14 एफआईआर में 10 हज़ार आदिवासियों के खिलाफ़ 124A के तहत राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। औपनिवेशिक शासन से लिए गए राजद्रोह के कानून में दोषी को उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है।
राजद्रोह के आरोपी 10 हज़ार आदिवासी खूंटी की आबादी के 2 फीसद हैं। राजद्रोह के आरोपियों की संख्या 10 हज़ार से भी ज़्यादा हो सकती है, क्योंकि ऐसा व्यापक रूप से माना जाता है कि पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ सिर्फ 19 ही एफआईआर नहीं हैं।
इतनी बड़ी तादाद में आदिवासियों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किए जाने पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस मामले को लेकर राज्य की रघुबर सरकार पर ज़ोरदार हमला बोला है।
राहुल गांधी ने ट्विटर के ज़रिए कहा, “सत्ता के ज़ुल्म के खिलाफ़ लड़ रहे 10,000 आदिवासियों पर कोई सरकार राक्षसी ‘राजद्रोह’ कानून लगा सकती है। हमारे देश की अंतरात्मा को झटका लगना चाहिए और एक मीडिया तूफान खड़ा होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। हमारे बिके हुए मीडिया ने शायद अपनी आवाज़ खो दी है, नागरिक के रूप में हम भी बर्दाश्त कर सकते हैं?”
That any Govt. could slam the draconian "sedition" law on 10,000 Adivasis, fighting against state oppression, should have shocked the conscience of our nation & raised a media storm.
But it hasn’t.
Our “sold out”media may have lost its voice; as citizens can we afford to? https://t.co/W7zTd7TOYN
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 20, 2019
जिन 19 एफआईआर की वेबसाइट ने जांच की है, उनमें 132 लोगों के नाम बताए गए हैं, जिनमें से कई का नाम कई एफआईआर में दर्ज है। आरोपियों में से तीन-तीन ग्राम प्रधान हैं। बाकी अज्ञात हैं। पुलिस की इस कार्रवाई ने जिले में एक बुरा प्रभाव पैदा किया है क्योंकि ग्रामीणों को डर है कि पुलिस भविष्य में किसी को भी अंधाधुंध मामलों में फंसा सकती है।
पत्थलगड़ी पर क्या है विवाद?
पत्थलगड़ी के माध्यम से आदिवासियों की पुरातन स्वशासन व्यवस्था, ग्रामसभा की सर्वोच्चता और वनाधिकार कानून की वकालत की गई है। आदिवासी अपने अधिकारों के बचाव के लिए ही पत्थलगड़ी अभियान चला रहे हैं। लेकिन सरकार इस अभियान के खिलाफ़ है। ख़ुद मुख्यमंत्री रघुवर दास इसे कई सार्वजनिक मंचों से देशद्रोह बता चुके हैं।
हालांकि सामाजिक संगठनों का आरोप है कि पत्थलगड़ी को संविधान की गलत व्याख्या बोलकर झारखंड पुलिस आदिवासियों के खिलाफ़ कार्रवाई कर रही है।
पिछले साल जुलाई में राजभवन पर इसके खिलाफ हुए धरना को संबोधित करते हुए मशहूर सोशल एक्टिविस्ट और अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा था कि पत्थलगड़ी मुहिम के प्रति झारखंड सरकार का रवैया आदिवासियों की वाजिब और अहिंसक मांगों के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है। खूंटी में आदिवासियों की स्वशासन परंपरा का संरक्षण किया जाना चाहिए और उससे सीखना चाहिए।