गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि देश के सभी नागरिकों को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) में शामिल किया जाएगा, इससे फर्क नहीं पड़ता है कि उनका धर्म क्या है। शाह ने कहा कि एनआरसी नागरिकता संशोधन बिल से अलग है।
गृहमंत्री ने कहा- एनआरसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत किसी धर्म विशेष को इससे बाहर रखा जाए। देश के सभी नागरिक, भले ही उनका धर्म कोई भी हो।। इसमें शामिल किए जाएंगे।
गृहमंत्री मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि देश के सभी नागरिकों को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) में शामिल किया जाएगा, इससे फर्क नहीं पड़ता है कि उनका धर्म क्या है।
अमित शाह का एनआरसी पर बयान ऐसे समय में आया है, जब देश भयंकर आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, शिक्षा के बाजारीकरण से गुजर रहा है। लोगों की नौकरियां जा रही हैं पर गृहमंत्री को इनकी छोड़कर एनआरसी की चिंता सता रही है।
इस समय मंदी का संकट इतना गंभीर है कि कंपनियां अपने कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। अकेले आईटी सेक्टर में ही 40 लाख नौकरियां संकट में हैं। वहीं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 2014 से अब तक 35 लाख नौकरियां चली गईं हैं।
बावजूद इसके मोदी सरकार भारत में मंदी से इनकार करती रही और देश को अंधेरे में रखा। जबकि पीएम नरेन्द्र मोदी से लेकर बीजेपी नेता नोटबंदी और जीएसटी के फायदे गिनते रहे हैं। लेकिन इन्होने कभी ये नहीं बताया गया कि इससे देश को क्या फायदा मिला है।
सुप्रीम कोर्ट की वकील करुणा नंदी ने गृहमंत्री अमित शाह के एनआरसी को लेकर दिए बयान पर तीखा हमला किया है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि, “और यहाँ ये है। लोग अर्थव्यवस्था, बाल मृत्यु दर, प्रदूषण की उपेक्षा करें- क्योंकि हमारे पास जश्न मनाने के लिए शरणार्थी विरोधी भावना है।
And here it is. Ignore the economy, the child mortality, the pollution folks – because we have our anti- refugee spirit to celebrate. https://t.co/L9dzNVB8fk
— Karuna Nundy (@karunanundy) November 20, 2019
इससे पहले पश्चिम बंगाल में एक कार्यक्रम में बोलते हुए अमित शाह ने कहा था कि एनआरसी से किसी हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन को डरने की जरुरत नहीं है। उन्होंने मुसलमानों का नाम नहीं लिया था।
बता दें कि सालाना 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार में नौकरियों की संभावनाएं लगातार ख़त्म होती जा रही हैं। कंपनियां अपनी लागत बचाने के लिए सीनियर और मध्यम स्तर के कर्मचारियों को बाहर निकाल रही हैं जबकि ज्यादा से ज्यादा फ्रेशर्स को नौकरी दे रही हैं। नतीजा ये रहा है कि, मैन्युफैक्चरिंग 2014 से अब तक 35 लाख नौकरियां चली गईं।
गृहमंत्री ने राज्यसभा में कहा, एनआरसी की आवस्यकता इसीलिए है ताकि पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर बहिष्कृत किए गए हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिख, क्रिश्चियन, पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सके।