देश की सबसे बड़ी नदी गंगा की सफाई के लिए क्या क्या बातें नहीं हुई। गंगा को स्वच्छ बनाकर रहेंगें चाहे कुछ हो जाये। मोदी सरकार ने करोड़ो रुपये की स्कीम का पैसा फूंक दिया मगर गंगा का पानी जिसे भारत में पूजा भी जाता वो पहले से और मैली और प्रदूषित हो चुकी है। गंगा के पानी में कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) में भारी बढ़ोतरी हुई है।
दरअसल गंगा के पानी की गुणवत्ता को नापने दो प्रमुख पैमाने होते है। जिनमें से दोनों ख़राब बताए जा रहें है। ऐसा नहीं है की सरकार इसके लिए कुछ किया नहीं सरकार ने ‘नमामि गंगे’ की योजना के तहत गंगा को साफ़ करने पूरा प्लान बनाया है मगर 20,000 करोड़ रुपये की ‘नमामि गंगे’ स्कीम अपने लक्ष्य को पाने में विफल होती नज़र आ रही है।
ऐसा संकट मोचन फाउंडेशन के जुटाए सैंपल के विश्लेषण से पता चलता है। क्योंकि गंगा के पानी में कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) में भारी बढ़ोतरी हुई है। जिसमें संस्था ने वाराणसी के तुलसी घाट से जो सैंपल जुटाया उससे ये पता लगा की गंगा की सेहत काफी बिगड़ी दिखती है, यहां जल प्रदूषण काफी ज्यादा है।
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इस बारें में जहां संस्था के अध्यक्ष और आईआईटी बीएचयू में प्रोफेसर वीएन मिश्रा ने का कहना है कि साल 2016-फरवरी 2019 के बीच बीओडी लेवल 46।8-54mg/l से बढ़कर 66-78mg/l हो गया है। डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन (DO) 6mg/l या इससे ज्यादा होना चाहिए। इस अवधि में इसका स्तर 2।4mg/l से घटकर 1।4mg/l रह गया है।” कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया की आबादी भी पानी में बढ़ गई है।
वहीं इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर सवाल खड़े किये है और झूठे वादे करने का आरोप लगाया है। राहुल ने लिखा- क्या होता है उम्मीदों को मार देना, नरेंद्र मोदी ने देश को वो दिखाया है।
बता दें कि गंगा एक्शन प्लान 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने लॉन्च किया था, एसएमएफ की अपनी लेबोरेटरी है, यहां संगठन नियमित आधार पर गंगा जल के सैंपल का परीक्षण करता है। वहीं मोदी सरकार ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट को मई 2015 में शुरू किया था।
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तब प्रधानमंत्री ने गंगा को निर्मल बनाने के लिए 2019 की समय सीमा तय की थी, मगर फिर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीते साल इस समयसीमा को बढ़ाकर मार्च 2020 किया था।