वैसे तो अपनी स्थापना के समय से ही BJP विभिन्न अवसरों पर संप्रदायिक मुद्दों को जोर शोर से उठाती रही है, लेकिन राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी को कुछ अधिक ही रास आ रहा है।

और इस मुद्दे को चरम पर पहुंचाने का श्रेय आडवाणी को जाता है जिन्होनें राम मंदिर मुद्दे को लेकर पूरे देश में रथयात्रा निकाली और उसके बाद 6 दिसम्बर-1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के सामने आया।

अयोध्या मुद्दों को सुलझाने के कई अवसर आए, लेकिन राजनीतिक कलाबाज सदा अपने हित साधने में लगे रहे और मंदिर मुद्दे को राजनीति के अंतिम तीर के रुप में अपने तरकस में रखे ऱखा।

वैसे मंदिर मुद्दे को BJP 1980 से पहले भी चुनावों में उठाती रही है, लेकिन वर्ष-1996 के बाद बीजेपी ने पहली बार इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल करती रही है। 1996 के बाद अब तक ऐसे कई अवसर आए जब BJP मंदिर मुद्दो को हल कर सकती थी, लेकिन राजनीतिक चालबाजी ने ऐसा करने नहीं दिया।

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आज बीजेपी ने लोकसभा चुनाव-2019 के लिए फिर एक बार राम मंदिर मुद्दे को अपने संकल्प पत्र में शामिल किया है।

इस मुद्दों को दोबारा शामिल करने के बाद स्वतंत्र पत्रकार एवं यू ट्यूबर ध्रुव राठी ने ट्वीट किया है, ’23 सालों से BJP राम मंदिर मुद्दे को हमेशा ही अपने संकल्प पत्र में देती रही है, लेकिन यह केवल वादों के इस पर कुछ और नहीं हो सका’

1996: Ram Mandir

1998: Ram Mandir

2004: Ram Mandir

2009: Ram Mandir

2014: Ram Mandir

2017: Ram Mandir

2019: Ram Mandir 

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