प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ज्यादा विदेशी दौरे करने के लिए प्रसिद्द भारतीय प्रधानमंत्री हैं। इस बार वो दक्षिण कोरिया के दौरे पर हैं। संभवतः ये उनका आखिरी विदेशी दौरा है! कोरिया ने पीएम मोदी को ‘सियोल शांति पुरस्कार’ से नवाज़ा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी के साथ पहले भारतीय नागरिक बन गए हैं जिन्हें ये पुरस्कार मिला है। लेकिन, देश में लोग पूछने लगे हैं कि अचानक से पीएम मोदी को ये पुरस्कार कैसे मिल गया! वो भी शांति के लिए?

पत्रकार राणा अयूब ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सियोल शांति पुरस्कार दिए जाने पर पूछा है कि, “पीएम मोदी को किस लिए ये पुरस्कार दिया जा रहा है?”

एक बात जानने वाली है कि पीएम मोदी को सियोल शांति पुरस्कार मिला है। लेकिन, पीएम नरेन्द्र मोदी को सियोल पुरस्कार समिति ने भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास में उनके योगदान को मान्यता देते हुए और अमीर और गरीब के बीच सामाजिक और आर्थिक विषमता को कम करने के लिए पुरस्कार दिया है।

संस्था ने ये भी कहा है कि पीएम मोदी की विशिष्ट आर्थिक नीतियों, मोदीनोंमिक्स को श्रेय और भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि, विश्व शांति, मानव विकास में सुधार और भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए उनके योगदान को देखते हुए सम्मानित किया गया है। ये हैरान करने वाली बात है कि पीएम मोदी को सियोल शांति पुरस्कार तो ज़रूर मिला है।

लेकिन, सवाल है कि भारत में शांति कहाँ है? जम्मू कश्मीर में लोग रोजाना मारे जा रहे हैं, गाय के नाम पर अखलाक और पहलू खान की लिंचिंग कर दी गई, नोटबंदी करके एटीएम की लइनों में 100 से ज्यादा लोगों को मार दिया गया। फिर दक्षिण कोरिया ने किस आधार पर पीएम मोदी को सियोल शांति पुरस्कार से नवाज़ा है?

रही बात लोकतंत्र को मजबूत करने की तो लोकतंत्र मजबूत ‘विपक्ष’ से होता है जो सरकार की आलोचना करते हुए उसको आइना दिखता है। मोदी सरकार और भाजपा के राज में तो विपक्ष को खत्म करने की पुरज़ोर कोशिश की जाती है। मोदी सरकार पर अपने ही देश में संवैधानिक संस्थाओं को खत्म करने का भी आरोप लगता रहा है। सीबीआई, चुनाव आयोग के मामले इनमें से एक हैं।

वैसे बता दें कि, पीएम मोदी से पहले 14 लोगों को सियोल शांति पुरस्कार मिल चुका है। पुरस्कार पाने वालों में से सयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफ़ी अन्नान अंजेला मर्केल और ऑक्सफैम जैसे प्रसिद्द अंतर्राष्ट्रीय राहत संगठन शामिल हैं।

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