लोकसभा चुनाव का नतीजे आने के बाद कई विपक्षी पार्टियों ने अपने प्रवक्ताओं को टीवी डिबेट प्रोग्राम में जाने पर बैन लगा दिया है। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के अगले दिन, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि कोई भी चैनल उनके नेताओं को बहस के लिए न बुलाए। एसपी ने अपने नेताओं को टीवी डिबेट प्रोग्राम में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था, इसके बाद जेडीएस ने भी यही फैसला लिया अब कांग्रेस ने यह फैसला लिया है।

पार्टी ने अपने प्रवक्ताओं को एक महीने के लिए टीवी चैनलों पर होने वाले बहस के कार्यक्रमों में नहीं भेजने का फैसला किया है। वही कांग्रेस ने सभी मीडिया चैनलों से अपील किया है की वे अपने कार्यक्रमों में कांग्रेस प्रवक्ताओं को ना बुलाएं। कांग्रेस पार्टी के नेता अगले एक महीने तक टीवी डिबेट शो में हिस्सा नहीं लेंगे।

कांग्रेस ने गुरुवार को फैसला किया है कि वह अपने प्रवक्ताओं को एक महीने तक टीवी चैनलों पर होने वाले बहस के कार्यक्रमों में नहीं भेजेगी। हालांकि इस आदेश की जानकारी शायद कांग्रेस के सभी नेताओं तक नहीं पहुँच पायी थी। जिसके कारण एक टीवी डिबेट के बीच बहस से कांग्रेस नेता राशिद अल्वी उठ कर चले गए।

दरअसल आजतक चैनल के टीवी स्टूडियो में बैठे रशीद अल्वी को अचानक याद आया की उनकी पार्टी ने यह आदेश दिया है कि उनका कोई भी नेता या प्रवक्ता किसी टीवी डिबेट में हिस्सा नहीं लेगा। इसलिए उन्होंने कहा मै अपनी पार्टी के आदेश का पालन करता हूँ, और आपके इस प्रोग्राम से जा रहा हूँ।

दरअसल विपक्षी दलों को देश के तथाकतिथ मुख्यधारा के टीवी न्यूज़ चैनलों से शिकायत है की उसने इस चुनाव में किसी खास पार्टी,नेता और उसके एजेंडा को अपने खबरों में जगह दिया।

विपक्षी पार्टियों को उसने अपने खबरों से दरकिनार किया है। पिछले दिनों बिहार रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी नेशनल मीडिया पर ऐसे ही आरोप लगाया था की इस चुनाव में मीडिया ने रोजगार, शिक्षा और बदहाली को अपने खबरों में नहीं दिखाया। जिससे जनता भर्मित हुयी और बिहार में एनडीए को लोकसभा चुनाव में इतनी बड़ी मैंडेट मिल गयी।

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