भारतीय मीडिया और राजनेताओं द्वारा पाकिस्तान में उरी हमले की जवाबी कार्रवाई (सर्जिकल स्ट्राइक) का भारत में जरूरत से अधिक प्रचार किया गया। यह बात खुद सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन से जुड़े एक पूर्व सेना अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए स्वाकार की है।

एक कार्यक्रम के दौरान जब लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (सेवानिवृत्त) से पत्रकारों द्वारा पूछा गया कि पाकिस्तान पर भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक की भारत में कई लोगों ने आलोचना की और इस स्ट्राइक का राजनीतिकरण भी भारत में किया गया।

इस सवाल के जवाब में लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा कि हमारे लिए पाकिस्तान पर यह स्ट्राइक करनी जरूरी थी। उरी हमले में हमने बड़ी संख्या में अपने जवानों को खो दिया था इसलिए पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने जरूरी था।

हमने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक से उनको संदेश दिया भी। अगर वो भारत सीमा में घुसकर हमारे जवानों पर हमला कर सकते हैं तो हम उनसे अधिक शक्ति के साथ हमला करने की ताकत रखतें हैं।

जहां तक इस स्ट्राइक के राजनीतिकरण की बात है तो यह बात में स्वीकार करता हूं कि भारत में इसका प्रचार जरूरत से अधिक किया गया और राजनीतिकरण भी इस स्ट्राइक का किया गया। सेना के नज़रिए से हमारे लिए यह करना बेहद ही जरूरी था और ये स्ट्राइक सफल भी रही।

शुक्रवार को जनरल हुड्डा सैन्य साहित्य महोत्सव 2018 में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस सम्मेलन का विषय ‘सीमा पार अभियानों और सर्जिकल स्ट्राइक की भूमिका’ था। इस सम्मेलन में पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बंडनोर और सेना के कई पूर्व जनरलों और कमांडरों भी मौजूद थे।

उरी हमला

पाकिस्तान कि तरफ से हुए इस हमले में भारतीय सेना के 18 जवान शहीद हुए थे। यह 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में स्थित स्थानीय मुख्यालय पर हुआ था।

यह पाकिस्तान द्वारा भेजे गए आतंकवादियों द्वारा किया गया एक फिदायीन हमला था जिसमें चार आतंकवादियों को भारतीय सेना ने भी मौके पर ही ढेर कर दिया था।

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