Tanya Yadav

दुनियाभर में कोरोना ने सबसे पहले शहरी आबादी पर अपना असर दिखाना शुरू किया। भारत में भी दूसरे देशों से विमान यात्रा कर आए लोग इसके शुरुआती कैरियर बने।

लेकिन इस महामारी का ज़्यादा बुरा असर गरीब देशों की गरीब जनता पर पड़ा। संसाधनों के अभाव में ऐसे देशों की जनता को अपनों की जान बचाने में ख़ासा मुश्किल झेलनी पड़ी।

गरीब देशों की ये तकलीफ लंबे समय तक झेलनी पड़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया के 53% टीके अमीर देशों के पास हैं, और गरीब देशों की 60% आबादी को 2023 तक वैक्सीन ही नहीं मिल पाएगी।

‘ड्यूक यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर’ की रिपोर्ट के मुताबिक अमीर देशों ने लगभग 53% वैक्सीन की सप्लाई अपने लिए बुक कर ली है।

इसी कारणवश 92 गरीब देश 2023 तक भी में अपनी आबादी के 60% का टीकाकरण नहीं कर पाएंगे। अपने लिए पहले से ही वैक्सीन खुराक बुक करने वाले देशों में अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं।

इजरायल में 60% लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज और 58% को दोनों डोज लग चुकी है।

इसी के साथ 16% से अधिक लोगों को दोनों डोज लग चुकी है। अमेरिका में 41% लोगों को पहली और 26% को दोनों डोज लग चुकीं हैं।

भारत में तो अभी तक 8% से भी कम लोगों को पहली डोज और 1% से कम को दोनों डोज लगी हैं। ये सब बावजूद इसके कि भारत वैक्सीन का सबसे बड़ा निर्माता है।

‘इंडिया टुडे’ में छपी खबर के मुताबिक भारत की 70% आबादी का टीकाकरण करने में अभी 8 साल और लगेंगे।

गरीब देशों की हालात बहुत खराब है। घाना देश को फरवरी में टीके मिल गए थे लेकिन वहां अभी तक महज 3% लोगों का टीकाकरण हुआ है। नाइजीरिया में 1% से कम लोगों को वैक्सीन लगी। तो वहीँ तंजानिया जैसे देशों ने अब वैक्सीन की आस ही छोड़ दी है।

दुनियभर में कोरोना बीमारी के कारण लोग लॉकडाउन में जी रहे हैं। जापान की राजधानी टोक्यो समेत तीन प्रांतों में आपातकाल की घोषणा कर दी गयी है।

दुनियाभर में फिलहाल कोरोना से 14.52 करोड़ लोग संक्रमित हैं। कुछ देशों की सरकारों ने लॉकडाउन लगाया हुआ है, जहाँ नहीं है वहां लोग खुद पहले जैसी सामान्य ज़िन्दगी जीने से बच रहे हैं।

भारत के कईं राज्यों में पहले से ही लॉकडाउन लग चुका है, जहाँ नहीं है वहां नाईट कर्फ्यू लगाया जा रहा है। भारत के हालत देखते हुए नहीं लगता कि कोरोना से जल्दी निजाद पाया जा सकता है।

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