पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों को भुलाकर आज के दौर में कई पत्रकार सरकार की जी हजूरी में जुटे हुए हैं।

इस वक़्त देश में चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर कई न्यूज़ चैनलों द्वारा इसे बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। जिसमें किसानों की मांगों को गलत ठहराया जा रहा है।

एबीपी न्यूज़ चैनल की पत्रकार रुबिका लियाकत का कहना है कि किसानों को एमएसपी देने से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ सकता है।

अपने न्यूज़ शो में रुबिका लियाकत ने एमएसपी के कथित फायदे और नुकसान बताकर किसानों की मांगों को बेवजह बताने की कोशिशें की है। रुबिका लियाकत ने हर बार की तरह मोदी सरकार का गुणगान करते हुए लोगों को एमएसपी का ज्ञान बांटा।

अपनी इस रिपोर्ट में रुबिका लियाकत यह कह रही है कि सरकार फिलहाल कुछ फसलों पर ही एमएसपी देकर खरीद रही है। सोचिए अगर सारी फसलों को एमएसपी पर खरीदा जाए। या उन फसलों के दाम पहले से ही तय हो जाए तो फिर देश की अर्थव्यवस्था कैसे चलेगी ?

इस मामले में पत्रकार रोहिणी सिंह ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए रुबिका लियाकत पर निशाना साधा है।

उन्होंने लिखा है कि “जब पत्रकार सरकार द्वारा लिखी गयी ‘प्रेस रिलीज’ पढ़ कर सुनाने लगें तब लोकतंत्र कमजोर होना लाजमी है। यहाँ रुबिका लियाकत बता रही हैं कि किसानों को MSP देने से अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाएगी। पत्रकारिता के भेष में बैठे ‘पार्टी प्रवक्ताओं’ को पहचानिए।”

बताया जा रहा है कि मोदी सरकार द्वारा लाएंगे कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए शुरू किए गए किसान आंदोलन में सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच एमएसपी की कानूनी गारंटी पर पेंच फंसा हुआ है।

विपक्षी पार्टियों का कहना है कि किसानों से ये अधिकार छीन कर मोदी सरकार उन्हें प्राइवेट कंपनियों के हाथ की कठपुतली बनाने की कोशिश कर रही है।

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