CIA, FBI समेत दूसरी अमेरिकी ख़ूफ़िया एजेंसियों के एक संयुक्त रिपोर्ट में ये दावा किया गया था कि अगर भारत में सत्ताधारी बीजेपी इसी तरह कट्टरता की राह पर चलती रही तो लोकसभा चुनाव से पहले भारत में साम्प्रदायिक दंगे होने की सम्भावना है।
लोकसभा चुनाव क़रीब है और अब इस रिपोर्ट का अक्स दिखाई देने लगा है। पत्रकार रोहिणी सिंह ताज़ा लॉन्च Republic.भारत चैनल पर दिखाई जा रही भड़काऊ ख़बरों को शेयर करते हुए लिखा कि,
“CIA सही है। चुनाव से पहले बड़ा दंगा करवाने की साज़िश की शुरुआत हो चुकी है”
CIA was right. The attempt to instigate massive riots before elections has started…. https://t.co/bHC7cVqYOm
— Rohini Singh (@rohini_sgh) February 2, 2019
बीजेपी के राज्यसभा सांसद की आर्थक मदद से चलने वाले चैनल RepulicTV के हिंदी चैनल Republic.भारत के लॉन्चिंग के साथ ही इस पर भड़काऊ, साम्प्रदायिक द्वेष वाली ख़बरे चलनी शुरु हो गई हैं।
ये बात जगज़ाहिर है कि, RepublicTV गोदी मीडिया का सबसे बड़ा केंद्र है। पत्रकार रोहिणी ने जिस ख़बर को शेयर करते हुए CIA के रिपोर्ट को सही ठहराया है उसे आप भी देखिए।
उसकी भाषा जिस तरह की है, आप भी यही कहेंगे कि देश में दंगे कराने की साज़िश की शुरूआत हो चुकी है।… देखिए-
“पुछता है भारत : क्या हिंदुओं के गुनहगार छुट्टे घूमते रहेंगे?”
#KarsevakMassacre | पुछता है भारत : क्या हिंदुओं के गुनहगार छुट्टे घूमते रहेंगे ?
देखिए सबसे बड़ा स्टिंग ऑपरेशन LIVE : https://t.co/SDGVEbtJgs pic.twitter.com/jMzB2TYNm4
— रिपब्लिक.भारत (@Republic_Bharat) February 2, 2019
रिपब्लिक.भारत की ये भाषा देखकर आपको कहीं से ये लगता है कि, ये पत्रकारिता की भाषा है? नहीं… कहीं से नहीं। ये तो वही भाषा है जो बीजेपी आईटीसेल वाले इस्तेमाल करते हैं। और ये वही भाषा है जिसका इस्तेमाल नरेंद्र मोदी के आधिकारिक NaMo App पर किया जाता है। जिससे बहुसंख्यक वर्ग को अल्पसंख्यकों से नफ़रत हो और बीजेपी के पक्ष में एकतरफ़ा माहौल बने।
इससे पहले योगी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी चेतावनी दे चुके हैं कि, आम चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी देशभर में दंगे करा सकती है। उन्होंने ये भी कहा कि, याद रखिएगा दंगों में कोई नेता नहीं मरता।
हालांकि राजभर भी एक नेता हैं, लेकिन इस बारे में उनकी बात सौ फ़ीसदी सही है। आप सब होशियार रहिएगा। क्योंकि दंगों में वाकई कभी कोई नेता नहीं मरता। मरते हैं तो इंसान। मरती है मुहब्बत। मरता है यक़ीन।