भीड़ द्वारा हत्या के मामले इतनी तेजी से बढ़े है कि अब इसकी तुलना में सिर्फ आज़ादी के वक़्त का भारत याद किया जा सकता है। भीड़ जब पागल हो जाती है इसका उदाहरण देखने के लिए सिर्फ पिछले कुछ सालों और खासकर पिछले कुछ दिनों की घटना पर ही नज़र डाल लेना चाहिए।

हिन्दू हो या मुसलमान सिख हो या ईसाई दलित हो या पिछड़ा वर्ग हर कोई इस समस्या से दो चार हो रहा है। सरकार का मानना है कि लिचिंग पहले भी होती थी और अब भी हो रही है मगर इसे अंजाम देने वालों से सख्ती से निपटा जायेगा।

फिलहाल लिंचिंग को लेकर कोई सख्त कानून नहीं है। अगर जो कानून है उसका भी लोगों में डर नहीं है। पिछले दिनों कई ऐसे मामले सामने आए है जहां गुस्साई भीड़ ने मुस्लिम युवकों को पकड़कर ‘जय श्री राम’ नारा लगाने को बोला।

जब मुस्लिम युवक ने नारा लगाने से मना कर दिया तो उन्हें जमकर पीटा गया, झारखंड में तबरेज नाम के शख्स को चोरी के इल्जाम में पकड़ा गया फिर उसे जबरन जय श्री राम का नारा लगाने के लिए बोला गया। लगातार रातभर पिटाई के बाद उसे पुलिस के हवाले किया गया जहां उसकी तबियत ख़राब हुई और फिर अस्पताल में ही उसकी मौत हो गई।

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने मॉब लिंचिंग के मामलों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि दिल्ली के उन इलाकों में डर का कोई माहौल नहीं है जहां हम रहते हैं या काम करते हैं, लेकिन हां छोटे शहरों और गांवों में एक डर है। इन आशंकाओं को आत्मसात करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है।

बता दें कि सिर्फ उत्तर प्रदेश में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार साल 2012 से 2019 तक ऐसी 50 घटनायें हुई जिसमें 50 लोग लिचिंग का शिकार बने, इनमें से 11 लोगों की हत्या हुई जबकि 25 लोगों पर गंभीर हमले हुये हैं। इसमें गाय से जुड़े हिंसा के मामले भी शामिल हैं।

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