समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और बहुजन समाज पार्टी जैसे राजनीतिक दलों का सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी ने किया है तो वो है ‘मीडिया’।

ये बात बहुजन समाज पार्टी को बहुत पहले से पता थी और उसने कभी भी मीडिया को मुंह नहीं लगाया लेकिन समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल तब भी असमंजस की स्थिति में थे।

2019 के चुनाव में जहां ये दल केंद्र की सत्ता निर्धारित करने की क्षमता रखते थे वहां पर बमुश्किल कुछ ही सीटें जीतने में कामयाब रहे।

दलितों पिछड़ों और अल्पसंख्यकों में अच्छी खासी पैठ रखने वाले इन राजनैतिक दलों को जितना नुकसान भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों से नहीं हुआ है उससे कहीं ज्यादा नुकसान इस देश की मीडिया ने पहुंचाया है।

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को इस बात का अंदेशा लग चुका है और वह अब आगे कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं इसलिए मीडिया से दूरी बनाए रखने की रणनीति बना रहे हैं।

समाजवादी पार्टी की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है जिसमें देश के सभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के ब्यूरो प्रमुख को संबोधित करते हुए लिखा गया कि ‘समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की स्वीकृति से यह फैसला लिया गया है कि अभी तक जितने पैनलिस्ट नामित किए गए थे उन सभी का नॉमिनेशन तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाता है।’

इसके साथ ही मीडिया वालों से स्पष्ट कर दिया गया है कि चैनल की तरफ से सपा के किसी भी नेता को ना बुलाया जाए।

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