
सुप्रीम कोर्ट ने राफ़ेल डील पर सवाल उठाने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस सौदे की जांच करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की तीन सदस्यीय पीठ ने ये फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि राफेल अधिग्रहण की प्रक्रिया की जांच करना अदालत का मामला नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, ‘कोर्ट का ये काम नहीं है कि वो निर्धारित की गई राफेल कीमत की तुलना करे। हमने मामले का अध्ययन किया, रक्षा अधिकारियों के साथ बातचीत की, हम निर्णय लेने की प्रक्रिया से संतुष्ट हैं।’
कोर्ट ने कहा कि नियम के मुताबिक ऑफसेट पार्टनर विक्रेता द्वारा तय किया जाना था, न कि केंद्र सरकार द्वारा। कोर्ट ने ये भी कहा कि हम इस फैसले की जांच नहीं कर सकते कि 126 राफेल की जगह 36 राफेल की डील क्यों की गई। हम सरकार से ये नहीं कह सकते कि आप 126 राफेल खरीदें।
जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘हम पहले और वर्तमान राफले सौदे के बीच की कीमतों की तुलना करने के लिए न्यायिक समीक्षा की शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकते।’
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर मुंबई कांग्रेसअध्यक्ष संजय निरुपम ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा राफ़ेल की बढ़ी कीमत और HAL की जगह अनिल अंबानी को टेंडर दिए जाने को लेकर जो सवाल उठाए गए थे, उसके जवाब नहीं मिले हैं। कोर्ट इसपर क्यों खामोशहै।
कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर लिखा, “हमारा यह मुद्दा कभी नहीं था कि राफेल विमान अच्छे हैं या ख़राब। 36 विमान ख़रीदे या 126.
हमारा मुद्दा था कि 526 करोड़ के विमान 1670 करोड़ में क्यों ख़रीदे? हमारा मुद्दा था कि HAL की जगह अनिल अंबानी की कंपनी क्यों लाए? सुप्रीम इस पर चुप है।क्यों”?