सुप्रीम कोर्ट से दोबारा सीबीआई निदेशक पद पर बहाल हुए आलोक वर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने तगड़ा झटका दिया है। समिति ने गुरुवार को बैठक के बाद आलोक वर्मा को पद से हटाने का फैसला किया है।

चयन समिति की बैठक पीएम मोदी के आवास पर हुई थी। तकरीबन ढ़ाई घंटे तक चली इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जस्टिस एके सीकरी और लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल रहे। हालांकि बैठक में खड़गे ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने का विरोध किया, लेकिन पीएम मोदी और जस्टिस सीकरी वर्मा को हटाने के पक्ष में रहे।

आलोक वर्मा को पद से हटाने के साथ ही केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना शुरु हो गई है। विपक्षी दल के नेताओं के साथ ही पत्रकारों और समाजसेवियों ने इस कार्रवाई को शक के घेरे में खड़ा किया है। अब इस मामले पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “मोदी जी राफ़ेल मामले में सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करके फ़ैसला ले लेते हैं, सुप्रीम कोर्ट आलोक वर्मा को बहाल करता है मोदी जी ने फिर वर्मा को हटा दिया राफ़ेल के भ्रष्टाचार से बचने के लिये कितनी चाल चलेंगे मोदी जी? लेकिन CJI को क्या हो गया है अब लोकतंत्र ख़तरे में नही”?

इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल कर दिया था। उन्हें सरकार ने करीब दो महीने पहले जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। अधिकारियों ने बताया कि इस मुद्दे पर समिति की यह दूसरी बैठक है। इससे पहले बुधवार को हुई बैठक बेनतीजा रही थी।

77 दिन बाद सीबीआई मुख्यालय पहुंचे सीबीआई चीफ़ फौरन एक्शन में आ गए थे। उन्होंने उनकी ग़ैरमौजूदगी में किए गए सारे ट्रांसफ़र रद्द कर दिए थे। ये सारे ट्रांसफ़र ऑर्डर एम नागेश्वर राव ने दिए थे। जो वर्मा की ग़ैरमौजूदगी में सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनाए गए थे।

सीबीआई चीफ़ ने आज 10 जनवरी को अपने ऑफ़िस के दूसरे दिन ताबड़तोड़ पांच अधिकारियों के तबादले भी किए हैं।

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