देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों बांग्लादेश के दौरे पर हैं। वहां पर मोदी ने एक सनसनीखेज बयान देते हुए कहा कि बांग्लादेश की आजादी के लिए उन्होंने भी संघर्ष किया था और इस वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।

मोदी के इस नए खुलासे पर देश भर में प्रतिक्रियाओं का दौर शुरु हो गया है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि “बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में भारत सरकार तो शुरु से बांग्लादेश के ही साथ थी.

इसके लिए पाकिस्तान के साथ भारत का युद्ध भी चल रहा था, फिर मोदी को जेल भेजा किसने ? भारत ने या पाकिस्तान ने !

मोदी ने बांग्लादेश में कहा कि बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में शामिल होना मेरे जीवन के पहले आंदोलनों में से एक था। मैंने अपने साथियों के साथ बांग्लादेश की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था।

मोदी के इस बयान पर प्रतिक्रिया आनी स्वाभाविक थी क्योंकि पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग करने में सबसे बड़ी भूमिका भारत की थी। उस वक्त भारत की प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी थी।

जब भारत सरकार बांग्लादेश की मदद कर रही थी तो मोदी को उस वक्त आंदोलन करने की जरुरत क्यों पड़ गई ? इस तथ्य में सच कितना है, ये तो सिर्फ मोदी ही जानते होंगे।

दरअसल मार्च 1971 में भारत की तत्कालीन सरकार ने यह फैसला लिया कि वो पाकिस्तान को बांग्लादेश से आजाद कराने वाली सेना मुक्तिवाहिनी की मदद करेगी।

29 जुलाई 1971 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संसद में पूर्वी पाकिस्तान यानी अभी के बांग्लादेश के युवाओं की मदद करने की घोषणा की। भारतीय सेना ने इन युवाओं को प्रशिक्षण देना शुरु कर दिया।

इसके बाद इंदिरा गांधी ने यूरोप और अमेरिका का दौरा किया ताकी दुनिया भर से बांग्लादेश निर्माण के पक्ष में समर्थन जुटाया जा सके।

पाकिस्तान इसे बर्दाश्त नहीं कर पाया और 03 दिसंबर 1971 को भारत पर हमला कर दिया. भारत पाक यु़द्ध शुरु हो गया. भारतीय सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए युद्ध जीत लिया।

भारत ने इतिहास रच दिया था। पाकिस्तान को जोरदार सबक सिखाते हुए भारत ने उसके दो टुकड़े कर दिए थे. पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने सरेंडर कर दिया। इसी के साथ बांग्लादेश का निर्माण हो गया।

ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब भारत ने अपनी कूटनीतिक और सैन्य क्षमता का परिचय देते हुए बांग्लादेश का प्रारंभ से ही समर्थन किया तो मोदी ने किस के खिलाफ आंदोलन और सत्याग्रह किया ?

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