ओएनजीसी, बीएसएनएल, इंडिया पोस्ट, एलआईसी और अब जेट एयरवेज भी घाटे में चला गया है. वित्तीय संकट में घिरी निजी विमान सेवा कंपनी जेट एयरवेज के कर्मचारियों ने गुरुवार को जंतर मंतर पर प्रदर्शन भी किया.

अगर कंपनी बंद होती है तो 20 हजार लोगों की नौकरी चली जाएगी. पिछले कैलेंडर वर्ष में कंपनी को 4,244 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ था. प्रदर्शन के कारण जेट एयरवेज की सभी उड़ाने रद्द हो गईं थीं जिसके कारण यात्रियों को दोगुना-तिगुना पैसा चुकाकर दूसरे विमान की टिकट करानी पड़ी.

पिछले चार सालों से कई सरकारी कंपनियां लगातार घाटे में जा रही हैं. जिस बीजेपी ने 2014 में सत्ता में आने से पहले लाखों नौकरियां देने का वादा किया था, सरकार बनते ही वो तमाम वादे बस भाषणों तक सीमित रह गए.

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने ट्विटर के माध्यम से इस मुद्दे पर गंभीरता जताई है. उन्होंने बेरोज़गारी का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया की मोदी सरकार ने दो करोड़ लोगों को बेरोज़गार बनाया है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘भाइयों और बहनो हर साल 2 करोड़ लोगों को “बेरोज़गार” बनाऊँगा #मोदी_है_तो_मुमकिन_है’

मोदी सरकार के राज में निजी कंपनियां पली भी और बड़ी भी हो गईं. रिलायंस जिओ को छोड़कर बाकी सभी टेलीकॉम कंपनियां फेल हो गई हैं. निजी कंपनियां वोडाफोन आईडिया व एयरटेल आदि ने नए ग्राहक बनाने की बजाय 79 लाख उपभोक्ता खो दिए हैं.

भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को पिछले साल दिसंबर तक 90,000 करोड़ रुपये के पार घाटा हुआ. वही रिलायंस जियो की दखलंदाज़ी के बाद इंडिया पोस्ट को घाटा वर्ष 2018-19 में 15000 करोड़ पहुंच गया है.

साफ़ है सरकार ने एक जिओ को फायदा दिलाने के पीछे सभी सार्वजनिक क्षेत्रों और सरकारी कंपनियों को बंद कर दिया व नौकरियां बनाने के बजाए लाखों लोगों से उनकी आमदनी का सहारा छीन लिया.

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