सोनभद्र नरसंहार के पीड़ितों से मिलने पहुंच रहे विपक्षी नेताओं को लगातार रोका जा रहा है और उन्हें पुलिस द्वारा हिरासत में लिया जा रहा है। आज कांग्रेस सहित टीएमसी के कई नेताओं को सोनभद्र नहीं जाने दिया गया और उन्हें रास्ते में ही रोक लिया गया।
कांग्रेसी नेता राजीव शुक्ला समेत पार्टी के कई नेताओं को उस वक्त हिरासत में ले लिया गया जब वह सोनभद्र के पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहे थे। शुक्ला ने पत्रकारों को बताया, “हम एयरपोर्ट पर पहुंचते ही हिरासत में ले लिए लग थे। अब उन लोगों ने हमें चुनार जाने की अनुमति दी है”।
इसके साथ ही टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन के नेतृत्व में 4 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल को भी वाराणसी पुलिस ने बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर ही रोक दिया। जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का प्रतिनिधिमंडल वाराणसी एयरपोर्ट पर धरने पर बैठ गया। टीएमसी का ये प्रतिनिधिमंडल भी सोनभद्र नरसंहार के पीड़ितों से मिलने जा रहा था।
प्रियंका दीदी हमसे मिलने आईं लेकिन प्रशासन ने उनको रोक दिया इसलिए हम खुद मिलने आ गए : पीड़ित
विपक्षी नेताओं को रोके जाने और उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सूबे की योगी सरकार कुछ छुपा रही है, इसीलिए वह विपक्षी नेताओं को पीड़ितों से मिलने नहीं दे रही। उन्होंने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की।
आप नेता ने ट्वीट कर लिखा, “उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की संलिप्तता के बिना सोनभद्र में निर्दोष आदिवासियों का नरसंहार संभव नहीं था। केवल न्यायिक जांच से ही सच सामने आ सकता है। विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी निंदनीय है। इससे केवल ये साबित होता है कि उत्तर प्रदेश सरकार कुछ छिपा रही है”।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की संलिप्तता के बिना सोनभद्र में निर्दोष आदिवासियों का नरसंहार संभव नहीं था। केवल न्यायिक जांच से ही सच सामने आ सकता है। विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी निंदनीय है। इससे केवल ये साबित होता है कि उत्तर प्रदेश सरकार कुछ छिपा रही है।
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 20, 2019
बता दें कि बुधवार को सोनभद्र के घोरावल गांव में ज़मीन पर कब्ज़े को लेकर भू-माफियाओं ने बुधवार की दोपहर तीन महिलाओं समेत नौ आदिवासियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। आदिवासियों का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने ज़मीन को खाली करने से इनकार कर दिया था, जिससे नाराज़ ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त ने आदिवासियों पर गोली चलवा दी। जिसमें 9 लोगों की मौके पर मौत हो गई और तकरीबन दो दर्जन लोग बुरी तरह से घायल हुए थे।