शिक्षा मंत्रालय ने प्रोफेसर शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित को देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी का नया कुलपति नियुक्त किया है। जेएनयू में इनका कार्यकाल अगले पांच साल तक रहेगा। शांतिश्री JNU की पहली महिला कुलपति हैं। इससे पहले के सभी 12 कुलपति पुरुष ही रहे हैं।

शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित की नियुक्ति को सरकार की तरफ से जेएनयू पर नकेल कसने की एक और कोशिश बतायी जा रही है क्योंकि नव नियुक्त कुलपति महोदया संघ और भाजपा के विचारों की करीबी मानी जाती हैं।

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शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित के कई पुराने ट्वीट अब सोशल मीडिया पर चर्चा में हैं। इन ट्वीट्स में वो ना सिर्फ सरकार का पक्ष लेते नजर आ रह ही हैं। बल्कि सरकार से सवाल करने वालों के लिए अपशब्द भी लिखा है।

नव नियुक्त वीसी की नजर में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इटली की रिमोट से चलने वाले व्यक्ति हैं। भारतीय नागरिक के तौर पर अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा हिस्सा गुजार देने वाली सोनिया गांधी के लिए शांतिश्री की ये सोच उन्हें भाजपा और संघ के नजदीक पहुंचाता है।

इसके अलावा शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित फेक न्यूज की फैक्ट्री ‘ऑप इंडिया’ और ‘सुदर्शन न्यूज’ की उपभोक्ता भी हैं। इनका वॉल इस बात का गवाह है कि वो न्यूज के लिए ‘ऑप इंडिया’ और ‘सुदर्शन न्यूज’ पर आश्रित रहती हैं।

‘ऑप इंडिया’ और ‘सुदर्शन न्यूज’ की कथित खबरों के साथ इस्लामोफोबिया, हिन्दू उग्रवाद, हिन्दू राष्ट्रवाद आदि नत्थी रहता है। इसका मतलब ये हुआ कि शांतिश्री नफरती और साम्प्रदायिक कॉन्टेंट को प्रमोट करती हैं।

 

अन्य हिन्दुत्ववादियों की तरह इनके लिए भी बंगाल और केरल के हिन्दू खतरे में है। सरकार से सवाल पूछने वाले पत्रकारों के लिए शांतिश्री गिद्ध शब्द का इस्तेमाल करती हैं।

ऐसे में इस आशंका को बल मिल रहा है कि क्या सरकार की तरफ से ये जेएनयू पर नकेल कसने की एक और कोशिश है? क्या सरकार की मुखर मुखालिफ़त और उत्कृष्ट शिक्षा के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले जेएनयू को अब वीसी के जरिए कंट्रोल किया जाएगा?

कौन हैं शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित?

शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित जिस जेएनयू में वीसी नियुक्त हुई हैं, वहीं से एम.फिल और पीएचडी की डिग्री भी ले चुकी हैं। जेएनयू में नियुक्ति से पहले वो सावित्री बाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी में राजनीति और लोक प्रशासन विभाग में प्रोफेसर थीं।

शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने अपने शिक्षण करियर की शुरूआत 1988 में गोवा यूनिवर्सिटी से की थी। इसके अवाला ये कई संस्थानों के साथ काम करते हुए प्रशासनिक जिम्मेदारियां भी संभाल चुकी हैं। वर्तमान में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन, इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंसेज रिसर्च जैसी संस्थाओं की सदस्य होने के साथ-साथ केंद्रीय विश्वविद्यालयों की विजिटर्स नॉमिनी भी हैं।

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