यूपीएससी जिहाद के नाम पर प्रोग्राम बनाकर लोगों के बीच में सांप्रदायिकता का जहर फैलाने वाले सुदर्शन टीवी के चव्हाणके को सुप्रीम कोर्ट में बुरी फटकार मिली है। इसके साथ ही सांप्रदायिक एजेंडे से परिपूर्ण इस कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश दिया गया है।

सिविल सर्विसेज में मुस्लिमों की घुसपैठ की थ्योरी बनाकर टीवी प्रोग्राम बनाने वाले सुदर्शन न्यूज़ को भले ही मोदी सरकार की तरफ से राहत मिल गई हो कि प्रसारण के लिए हरी झंडी है मगर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फटकार मिली है।

सर्वोच्च अदालत ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि लगता है इस कार्यक्रम का मकसद मुस्लिम समुदाय को कलंकित करने का है।

जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए तमाम ऐसी टिप्पणियां की जिससे चैनल का नफरत का एजेंडा एक्सपोज हो जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के रूप में हम आपको यह कहने की अनुमति नहीं दे सकते हैं कि मुस्लिम नागरिक प्रशासनिक सेवाओं में घुसपैठ कर रहे हैं। इसके साथ ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा इस पूरे मामले की सुनवाई हम परसों यानी 17 सितंबर को करेंगे।

सुदर्शन टीवी की करतूतों को उजागर करते हुए जस्टिस वाई चंद्रचूड़ ने कहा केंद्र की 9 सितंबर की अधिसूचना के बाद उसी थीम बने कई प्रोग्राम का प्रसारण किया गया है, जिसके 5 एपिसोड बचे हुए हैं।

दरअसल याचिकाकर्ता ने कहा है कि प्रशासनिक सेवा में जाने को जिहाद बताकर सुरेश चव्हाणके ने हेट स्पीच फैलाया है।

इसके साथ ही जस्टिस जोसेफ ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के टीआरपी प्रेमी करतूतों को उजागर किया है। उन्होंने कहा टीआरपी के चक्कर में कार्यक्रमों को सनसनीखेज बनाया जाता है। साथ ही एक बड़ी समस्या यह भी है कि कई बार टीवी एंकर खुद ही बोलते रहते हैं और पैनलिस्ट को बोलने की इजाजत तक नहीं देते हैं।

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