कोरोना की पहली और दूसरी महामारी में जब सरकार फेल हो गई थी, तब सिखों ने मानवता की सेवा कर अपना बड़ा दिल दिखाया था. कोरोना की पहली लहर में जब लाॅकडाउन लगा दिया गया था और पूरे देश में अफरा तफरी मच गई थी.
जगह जगह पर लोग फंस गए थें. करोड़ों लोग दाने दाने को मोेहताज हो गए थें, तब पूरे हिंदुस्तान में गुरुद्वारे और सिख संगठनों ने आकर लोगों की मदद की थी. जगह जगह पर लंगर लगाए थें, लोग जहां जहां पर फंसे हुए थें,
सिखों ने वहां तक लोगों को भोजन पहुंचाया. कोरोना की दूसरी लहर में जब सरकार लोगों तक आॅक्सीजन पहुंचाने में फेल हो गई तब भी सिखों ने कमाल कर दिया. गुरुद्वारों और सिख संगठनों ने देशभर में आॅक्सीजन का लंगर लगा दिया.
इस बार एक और बड़ा फैसला नांदेड़ गुरुद्वारा ने किया है जिससे सभी धार्मिक संगठनों को सबक लेना चाहिए.
सिखों के पांच तख़्तों में से एक तख्त श्री हजूर साहिब ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसने सब का दिल जीत लिया है.
तख्त श्री हजूर साहिब ने फैसला किया है कि पिछले 50 सालों में गुरुद्वारा साहिब में जितना भी सोना इकट्ठा हुआ है, उससे अब अस्पताल और मेडिकल संस्थान खोले जाएंगे.
तख्त श्री हजूर साहिब के जत्थेदार संत बाबा कुलवंत सिंह ने साध संगत के बीच यह घोषणा करते हुए कहा कि नांदेड़ के लोगों को इलाज के लिए हैदराबाद या मुंबई जाना पड़ रहा है, ये ठीक नहीं है.
बाबा कुलवंत सिंह ने कहा कि अब गुरु घर में संगत द्वारा दिए गए सोने से नांदेड़ में ऐसे अस्पतालों को निर्माण कराया जाएगा कि अब लोग दूसरी जगह से इलाज कराने के लिए नांदेड़ आया करेंगे.
जत्थेदार बाबा कुलवंत सिंह ने कहा कि हमने अब गुरुद्वारे और इमारत बहुत बना लिए, गुरुघरों में बहुत सोने जड़ लिए. अब हमें गुरुद्वारे नहीं बनाना है बल्कि गुरुसिक्ख बनाना है.
सिख नौजवानों को अच्छी शिक्षा देनी है, सिक्खों को उच्च पदों पर पहुंचाना है. गुरु साहिब का खालसा जब उंचे पदों पर पहुंचेगा तो कलगीधर दशमेश पिता गुरु गोबिंद सिंह महाराज को भी अपने ऐसे सिखों को देखकर खुशी होगी.
जिस तरह से सिखों ने अपनी सेवा भावना ने दुनिया भर को प्रेम का संदेश दिया है, अपने पराए का भेद भूल कर सबकी मदद और सेवा की है, वो प्रेरणादायक है.
दुर्भाग्य से जो कौम दूसरों की सेवा को ही अपना धर्म समझता है, जब वो अपने अधिकार के लिए सड़क पर आता है, उन्हें कुछ लोग आतंकवादी करार देते हैं.