मोदी सरकार द्वारा ट्रैफिक नियम तोड़ने के खिलाफ बढ़े जुर्माना राशि ने लोगों के बीच दहशत पैदा कर दी है। जो पुलिस के हत्थे चढ़ जा रहा है उसके आंखों से खून निकल आ रहा है। लोग इतनी भारी भरकम धनराशि नहीं चुका पा रहे। हालत यहां तक आ गए हैं कि अब लोग रोड पर डर-डरकर गाड़ी चला रहे हैं।
इसकी बानगी देशभर में देखने को मिल रही है। दिल्ली, ओड़िशा, उत्तर प्रदेश चरों तरफ से हजारों का चालान काटने की खबरें आ रही हैं। पिछले दिनों दिल्ली के रहने वाले और गुरुग्राम कोर्ट में काम करने वाले दिनेश मदान पर पुलिस ने 23 हजार रुपये का जुर्माना ठोंक दिया था। जबकि उनकी स्कूटी की कीमत बाजार में 15 हजार रुपये है। बाद में ये रष्ट्रीय खबर भी बनी। दिल्ली में ही एक ट्रक का दो लाख पांच सौ का चालान किया गया था।
गुरुग्राम में ही ट्रैफिक पुलिस ने 9,400 रुपये, 27,000 रुपये और 37,000 रुपये का चालान कर दिया। इसपर गुरुग्राम एसपी का कहना था कि, ये चालन मोटर वाहन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के तहत किया गया है। लेकिन, सरकार और प्रशासन को ये नहीं पता कि जितने का वो लोगों का चालान काट रहे हैं उतना लोगों का वेतन होता है या इससे भी कम होता है। यही वजह है कि नए ट्रैफिक नियम के खिलाफ आवाज उठने लगी है।
मोदी सरकार का नए ट्रैफिक नियम के पीछे तर्क है कि, चालान की रकम बढ़ाकर दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि, क्या किसानों की फसल का मूल्य बढ़ाकर आत्महत्या भी रोकी जा सकती है?
अगर चालान की रकम बढ़ाकर दुर्घटना रोकी जा सकती है तो किसान की फसल का मूल्य बढ़ाकर आत्महत्या भी रोकी जा सकती है!
जय जवान जय किसान pic.twitter.com/equyvcyugf
— शिक्षा सिंह (@iShiksha_) September 17, 2019
किसानों की बात करने वाली सरकार किसानों के हित में ऐसा कानून क्यों नहीं बना सकती जिससे की उनकी आत्महत्या रोकी जा सके। सरकार किसानों से हर चुनाव में वादा करती है कि सत्ता में आने के बाद उनकी फसल का दोगुना दाम देगी! क्या सरकार ऐसा कर रही है?
एक दावे के मुताबिक पिछले पांच सालों में देश में करीब 50 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। जो कि सबसे ज्यादा भाजपा शासित राज्यों में हुई है। ये इसीलिए भी है क्योंकि ज्यादातर राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं।
मगर ये विचारणीय प्रश्न है कि, आज हिंदुस्तान में भूखमरी, बेरोजगारी, अपराध जैसे मूलभूत मुद्दों को दरकिनार करके उसकी जगह साम्प्रदायिकता ने ले ली है।
सरकार से लेकर लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ मीडिया ‘हिन्दू-मुस्लिम’ का राग अलापकर लोगों को बांटने में लगे हैं। हिन्दू-मुस्लिम करके लोगों में दूरियां पैदा करके इसी को न्यू इंडिया नाम से बेचा जा रहा है।