रूस और यूक्रेन के बीच युद्द जारी है। यूक्रेन में फंसे भारतीय बच्चे लगातार अपनी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। वहीं कुछ बच्चे भारत लौटकर अपनी आपबीती सुना रहे हैं। भारत लौटे स्टूडेंट्स बता रहे हैं कि यूक्रेन में फंसे छात्र-छात्राओं की हालत बद से बदतर होती जा रही है। स्टूडेंट्स का आरोप है कि इंडियन ऐम्बसी की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पा रही है।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के सहरसा की रहने वाली प्रतिभा विनिस्तिया मेडिकल यूनिवर्सिटी की फोर्थ ईयर की स्टूडेंट हैं। वो बताती हैं कि ‘हमने इंडियन एम्बेसी के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन एम्बेसी के किसी अधिकारी ने कॉल या मैसेज का जवाब नहीं दिया। हमारी एक दोस्त ने जब असलियत दिखाने के लिए फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया, तो तुरंत एम्बेसी से फोन आ गया कि वीडियो तुरंत डिलीट करो।’

प्रतिभा बताती हैं कि ‘वॉर शुरू होने के बाद 2 दिन तक तो हमने इंतजार किया लेकिन इसके बाद हमने खुद पहल की। 26 फरवरी की रात को हमने मिलकर एक बस बुक की। हमसे प्रति छात्र 6 हजार रुपये लिए गए, हमें लगता है कि इसमें एजेंट्स और एम्बेसी वाले दोनों मिले हुए थे। बस से 14 घंटे का सफर तय करके हम रोमानिया बॉर्डर तक पहुंचे। बस से उतरने के बाद हमें माइनस 20 डिग्री की ठंड में 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। हम अपने कंधे पर पीने का पानी, खाना और अपना सामान लादे हुए थे।’

इंडियन एम्बेसी पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रतिभा आगे कहती हैं कि ‘रोमानिया के लोगों ने हमारी अच्छी मदद की, रुकने की जगह दी और भर पेट खाना खिलाया। रोमानिया में हमें इंडियन एम्बेसी के लोग मिले और उन्होंने हमसे बहुत ही गंदा व्यवहार किया। उन्होंने हमें ऑफर दिया कि जो बाथरूम साफ करेगा, हम उसे पहले भारत ले जाएंगे और बाकी लोगों को बाद में।

स्टूडेंटस इतने थके हुए थे कि किसी की हिम्मत नहीं थी कि बाथरूम साफ करें, लेकिन वो भी जल्द से जल्द इंडिया वापस जाना चाहते थे। घर जाने की इतनी बेसब्री थी कि कुछ स्टूडेंट टॉयलेट साफ करने चले गए। इंडियन एम्बेसी वाले देखते ही रहे, कुछ किया नहीं।’

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