लोकसभा चुनाव के वक़्त हर पार्टी के नेता अपना दल बदल करते है। मगर ये पहली बार है की चुनाव हो जाने के बाद भी पार्टी के विधायक अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी ज्वाइन करने को तैयार है।

भारतीय जनता पार्टी में तृणमूल कांग्रेस के कई विधायक और नेता अबतक शामिल हो चुके है, ऐसे में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए नेता जनादेश का बराबर से अपमान कर रहें है।

ऐसा इसलिए भी हो पा रहा है क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान ही कहा था कि टीएमसी के 40 विधायक हमारे संपर्क में हैं और कभी भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।

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3 विधायक और 29 पार्षदों के बीजेपी में शामिल होने के मौके पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में मुकुल रॉय ने कहा कि हमलोग बंगाल में संघर्ष करेंगे।

इस पर समाजवादी पार्टी नेता सुनील सिंह साजन ने लिखा- डंके की चोट पर भाजपा अलग-अलग राज्यों में विधायक-पार्षद ‘खरीद’ रही है। जो धनबल से नहीं डर रहे उन्हें जांच एजेंसियों के जरिये तोड़ा जा रहा है। जिन्हें सवाल उठाना चाहिए वह इसे ‘चाणक्य’ का दर्जा दे रहे हैं। क्या राजनीतिक पतन, सिद्धांत विहीन सियासत ही नई दिशा है?

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