सत्तारूढ़ पार्टी की संख्या के मद्देनज़र भले ही लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को पास कर दिया गया है। लेकिन इसका विरोध लगातार जारी है। जहां पूर्वोत्तर राज्यों में इस बिल के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं विपक्षी नेताओं से लेकर देश की कई जानी मानी हस्तियां भी इसके विरोध में अपनी आवाज़े बुलंद कर रही हैं।
अब बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने भी इस बिल के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज किया है। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “भारत में धर्म नागरिकता का आधार नहीं है। धर्म भेदभाव का आधार नहीं हो सकता और राज्य धर्म के आधार पर फैसला नहीं ले सकता। नागरिकता संशोधन बिल ने मुसलमानों को स्पष्ट रूप से बाहर रखा है। NRC/CAB प्रोजेक्ट में जिन्ना का पुनर्जन्म हुआ है। हिन्दू पाकिस्तान को मेरा हैलो!”
“(In India..) Religion is not basis of citizenship. Religion cannot be the basis of discrimination. And the state cannot take decisions based on religion. CAB pointedly excludes Muslims..” – in NRC/CAB project Jinnah is reborn! Hello Hindu Pakistan! ?? ?? https://t.co/aVkmolFx2L
— Swara Bhasker (@ReallySwara) December 9, 2019
इसके साथ ही उन्होंने एक और ट्वीट कर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, ”मैं नहीं चाहती कि मेरी मेहनत की कमाई टैक्स के रूप में इस बीमार NRC/CAB योजना पर खर्च हो।”
I do not want my hard earned money as a taxpayer to be spent in funding this sick bigoted NRC/CAB project! #CAB #CABAgainstConstitution #CABBill #NRCBill #IndiaAgainstCAB
— Swara Bhasker (@ReallySwara) December 9, 2019
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन विधेयक पर दिनभर चली लंबी बहस के बाद इसे लोकसभा में 311-80 के बहुमत के साथ पास कर दिया गया। हालांकि पहले से ही सत्तारूढ़ पार्टी की संख्या को देखते हुए लोकसभा में इसका पास होना तय माना जा रहा था। राज्यसभा में इस बिल के पास होने में समस्या हो सकती है।
राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए बीजेपी को एनडीए से बाहर दूसरे दलों का समर्थन चाहिए होगा। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि वह कौन से दल होंगे जो धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाले बिल का समर्थन करेंगे।
सिटिज़नशिप बिल के विरोध में उतरे पूर्व IPS हर्ष, कहा- अगर बिल पास हुआ तो मुसलमान हो जाऊंगा
बता दें कि नागरिक संशोधन विधेयक 2019 के तहत सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव का प्रस्ताव है। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (जैसे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को आसानी से भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। जबकि मुसलमानों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।