मोदी सरकार ने जब दो साल का कार्यकाल पूरा किया था तब एक नया स्लोगन गढ़ा गया था। ‘मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है।’

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प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में भले ही कई झूठ बोले हों लेकिन ये स्लोगन सच्चा था। देश सच में बदल चुका है। पहले चुनाव प्रचार राजनीतिक पार्टियों के नेता, कार्यकर्ता, समर्थक करते थे लेकिन अब सरकारी संस्थानों और संवैधानिक पद पर बैठे माननीय लोगों ने भी चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। पहले राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने खुद को बीजेपी का वर्कर बताते हुए नरेंद्र मोदी को वोट देने की बात कही।

Related imageअब भारतीय रेलवे ‘मैं भी चौकीदार’ कैपेन को सफल बनाने के लिए मैदान में आ चुकी है! इसका खुलासा हुआ है ट्रेन में मिलने वाली चाय से। दरअसल 28 मार्च की सुबह सोशल मीडिया पर अचानक ही चाय का एक कप वायरल होने लगा। शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रियों को चाय और कॉफी परोसने के लिए जिस कप का इस्तेमाल किया जा रहा है उसपर बीजेपी के चुनाव कैंपने वाले फॉन्ट (अक्षर) और स्टाइल में लिखा है- ‘मैं भी चौकीदार’

साथ ही कप पर आतंकवाद से राष्ट्र की रक्षा, सैनिकों के सम्मान की रक्षा… आदि लिखा हुआ है। कुल मिलाकर राष्ट्रवादी बनने के टिप्स दिए गए हैं। हालांकि बीजेपी का नाम कहीं नहीं लिखा है लेकिन ये तो जगजाहिर है कि बीजेपी इन्हीं मुद्दों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में कर रही है।

मीडिया संस्थान न्यूज18 की स्पेशल कोरेस्पोंडेंट पायल मेहता ने शुक्रवार को ट्विटर पर लिखा कि ट्रैन नंबर 12040 काठगोदाम शताब्दी में दो बार चाय परोसी गई। दोनों ही बार कप पर ‘मैं भी चौकीदार’ लिखा हुआ था। पायल कप की तस्वीर ट्विटर पर शेयर करते हुए रेल मंत्रालय और चुनाव आयोग के प्रवक्ता को टैग कर पूछा, ‘क्या ये अचार संहिता का उलंघन है?’

न्यूज वेबसाइट टाइम्स नाऊ के मुताबिक IRCTC ने इस मामले में सफाई पेश की है। रेलवे की तरफ से बताया गया है कि, ‘न्यूज़ रिपोर्ट के हवाले से आ रही ‘मैं भी चौकीदार’ कप की जांच कर ली गई है। ऐसा IRCTC की पूर्व स्वीकृति के बिना किया गया। सभी कप को प्रयोग होने से हटा लिया गया है। सुपरवाइजर और पैन्ट्री इंचार्ज से स्पष्टीकरण की मांग की गई है। सेवा प्रदाता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उलंघन के लिए शो कॉज नोटिस भी भेजा जा चुका है।’

29 मार्च को शाम चार बजे तक चुनाव आयोग की तरफ इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। ख़ैर, कप की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेज़ी से वाइरल हो रही है।

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रेलवे को अपनी तरफ से जो कहना था कह चुका लेकिन इससे मामला यहीं खत्म नहीं होता। क्योंकि मुद्दा सिर्फ ये नहीं की ऐसे कप शताब्दी में इस्तेमाल हुए। सवाल ये भी है कि इसके पीछे किसका हाथ है? कप के दूसरे हिस्से में इसकी जानकारी लिखी हुई है।

शताब्दी में ‘मैं भी चौकीदार’ कप में चाय परोसने वाली संस्थान का नाम है- संकल्प फाउंडेशन। ये फाउंडेशन एक निजी ट्रस्ट के रूप में काम करती है। साथी ही रेलवे के साथ मिलकर meal on wheel के कॉन्सेप्ट पर काम करती है। जाहिर रेलवे से इसके लिएक संकल्प फाउंडेशन दिया होगा।

‘मैं भी चौकीदार’ वाले पर पर संकल्प फाउंडेशन के अध्यक्ष का नाम भी लिखा हुआ है। नाम है- राजीव मित्तल। राजीव मित्तल के फेसबुक अकाउंट से पता चलता है कि वो पक्के वाले बीजेपी समर्थक हैं। उनके और बीजेपी के संबंध भी कुछ खास नजर आते हैं।

राजीव मित्तल ने अपनी फेसबुक पर कई बीजेपी नेताओं के साथ तस्वीर डाली है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पूर्वी दिल्ली से सांसद महेश गिरी के साथ उनकी तस्वीर है। महेश गिरी बीजेपी राष्ट्रीय सचिव हैं।

इसी तस्वीर में एक और चेहरा सत्यभूषण जैन का है। सत्यभूषण जैन संकल्प फाउंडेशन के वाइस उपाध्यक्ष हैं। उनके फेसबुक अकाउंट पर सबसे पहली तस्वीर आपको प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के साथ हाथ मिलाते दिख जाएगी। यही नहीं उनकी पीएम मोदी के साथ कई और तस्वीरें भी मौजूद हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट पर ‘मैं भी चौकीदार’ से कई पोस्ट किये हैं। संकल्प फाउंडेशन के लगभग सभी स्पीकर बीजेपी नेता हैं। स्पीकर वाली लिस्ट में नितिन गडकरी, डॉ. हर्षवर्धन, मनोज सिन्हा और राजीव प्रताप का नाम संकल्प फाउंडेशन की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

तो शायद इतने तथ्य काफी हैं संकल्प फाउंडेशन की मोदी भक्ति साबित करने के लिए। कपंनी से जुड़े सभी बड़े अधिकारी बीजेपी, मोदी और मैं भी चौकीदार कैंपेन के पक्के वाले समर्थक हैं। अगर इन तथ्यों से संतुष्टि न मिली हो, अगर अब भी आपको लगता है कि संकल्प फाउंडेशन मोदी और बीजेपी समर्थक नहीं है तो एक जानकारी लेते जाइए।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब संकल्प फाउंडेशन ने मोदी और बीजेपी का प्रचार किया हो। इससे पहले 2015 में संकल्प फाउंडेशन ने कप पर मोदी और अमित शाह की तस्वीर ही छाप दी थी। इस कप को भी शताब्दी एक्सप्रेस में चाय और कॉफी के लिए इस्तेमाल किया गया था। कप पर तस्वीर के साथ-साथ बीजेपी से जुड़कर भारत को सशक्त बनाने की बात लिखी गई थी। बीजेपी से जुड़ने के लिए उसका टोल फ्री नंबर भी दिया गया था।

उस वक्त भी मामला मीडिया में आने पर रेलवे ने संज्ञान लिया था और कार्रवाई की बात कही थी। लेकिन पता नहीं ऐसी कौन सी कार्रवाई हुई कि संकल्प फाउंडेशन ने फिर वही गलती दोहरा दी।

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अब जाते जाते एक और दिलचस्प जानकारी लेते जाइए… संकल्प फाउंडेशन नवंबर 2014 में बनी थी। संयोग से मई 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद।

पीएम मोदी ने इन पांच साल में कुछ किया या नहीं पर अपनी सेना जरूर तैयार कर ली है। ये सेना उनके प्रचार में लगी हुई है। इसके लिए आचार संहिता का ध्यान नहीं रखा जा रहा।

पहले अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ शब्द जोड़ा गया। अब ‘मैं भी चौकीदार’ का खुलेआम सरकारी कामों में प्रयोग किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही देश में आदर्श आचार सहिंता लागू हो चुकी है। आचार संहिता लागू होने के बाद तमाम नियम भी लागू हो जाते हैं जिनकी अवहेलना करने पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रवधान है। लेकिन शायद बीजेपी नेताओं को कार्रवाई का कोई डर नहीं है, वो लगातार इसका उल्लंघन कर रहे हैं। कुछ मामलों में चुनाव आयोग ने संज्ञान भी लिया है।

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